हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद गांधी मैदान नवदुर्गा उत्सव समिति का गरबा कार्यक्रम सवालों।के घेरे में पोस्टर पर दिखाए गए ज्यादातर सेलिब्रिटी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। चंदा, टिकट शुल्क और बाहरी की एंट्री को लेकर शहर में गरमागरम चर्चा।
गरियाबंद गांधी मैदान में आयोजित सार्वजनिक नवदुर्गा उत्सव समिति का गरबा कार्यक्रम इस बार भक्ति से ज्यादा सवाल और बवाल का अखाड़ा बन गया। आयोजन से पहले शहर की दीवारों पर चिपके पोस्टरों ने लोगों को सपनों का सेलिब्रिटी शो दिखाया था। कई बड़े बड़े चेहरों के फोटो देखकर जनता ने सोचा कि गरियाबंद में इस बार बॉलीवुड-स्टाइल धमाल होगा। लेकिन जब असली कार्यक्रम शुरू हुआ तो मंच पर ना सितारे दिखे, ना चमक-दमक, बस जनता का मायूस चेहरा और बचे-खुचे ढोल-नगाड़ों की आवाज़ सुनाई दी।

गरियाबंद गांधी मैदान कार्यक्रम में पोस्टर बना मृगतृष्णा, जनता बोली फोटो में आए, मंच पर नहीं
कई चंदादाताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने उन सेलिब्रिटियों के नाम पर चंदा दिया था जिनकी तस्वीरें पोस्टरों में लगी थीं। मगर, मंच पर उनका अता-पता नहीं मिला। एक महिला सेलिब्रिटी के करीबी ने तो खुलकर कहा हमारी अनुमति के बिना फोटो लगा दी गई। अब जनता पूछ रही है । अगर फोटो से ही गरबा कराना था तो प्रोजेक्टर ही लगा देते, कम से कम बारिश में भी सेलिब्रिटी दिखाई देते।
सबसे बड़ा सवाल
गरियाबंद के गरबा विवाद में अब नया सवाल खड़ा हो गया है।
जब सेलिब्रिटी के आने की कोई पक्की उम्मीद ही नहीं थी,
तो उनके फोटो पोस्टर और बैनर पर क्यों लगाए गए?
आखिर किस सोच या मकसद से ऐसा किया गया?
क्या जनता को दिखावे में रखकर चंदा लेने की कोशिश की गई?
एक दो सेलिब्रिटी नहीं आते तो भी सवाल नहीं उठते मगर ज्यादातर सेलिब्रिटी रहे नदारद जिसको लेकर विवाद ।
अब लोगों के बीच यही चर्चा है कि अगर आने वाले ही नहीं थे, तो फोटो क्यों लगाए गए?
देशभर में विरोध, गरियाबंद में महिमा मंडन
जहां देशभर में गरबा पंडालों में बाहरी व्यक्तियों की एंट्री को लेकर विरोध हो रहा था, वहीं गरियाबंद के गांधी मैदान में उल्टी गंगा बह रही थी सिर्फ चंदे के लिए उन्हीं बाहरी मेहमानों का मंच पर महिमा मंडन किया गया। सूत्रों की माने तो इसको लेकर समिति के अंदर से ही विरोध की आवाज उठी। एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा गरबा के मंच पर बाहरियों का गुणगान क्यों?
चंदा को लेकर पूर्व में भी विवाद लेनदारों की पुरानी राशि बाकी ?
आयोजन में एंट्री शुल्क भी 50 रुपए रखा गया था, जिस पर सवाल उठ रहे हैं। जनता कह रही है । पहले चंदा लिया, फिर टिकट भी बेचा,अगर कार्यक्रम कराने में समिति सक्षम नहीं थी तो फिर करवाना ही नहीं था मगर शो बाजी और भव्यता दिखाने के चलते सब किया और फिर बजट बढ़ने के नाम पर 50 रुपए एंट्री फीस रख दी गई । और तो और गरियाबंद के लोकल कुछ टेंट और फ्लेक्स वालों ने आरोप लगाया कि समिति के ही बड़े एक सदस्य ने उनका पुराना बकाया भी दबा लिया है । सूत्र बताते हैं कि समिति के इस सदस्य ने पिछले सालों के भी कई टेंट और फ्लेक्स वालों का पेमेंट नहीं किया है। हालत यह हो गई है कि कुछ टेंट वाले अब गांधी मैदान में काम करने से ही इनकार करने लगे हैं। शहर के लोग तंज कस रहे हैं गरबा तो हर साल होता है, लेकिन बकाया पेमेंट का गरबा कभी पूरा नहीं होता।
समिति का पक्ष बारिश और परेशानी ने बिगाड़ा प्लान
समिति के कार्यकारी अध्यक्ष संदीप सरकार ने सफाई देते हुए कहा सेलिब्रिटी से संपर्क किया गया था, उनसे बात भी हुई थी, मगर बारिश और अन्य परेशानियों के चलते वे नहीं आ पाए। रही बात चंदे की, तो हमने किसी से जबरदस्ती चंदा नहीं मांगा। जो दिया, उन्होंने अपनी मर्जी से दिया। लेकिन सवाल तो फिर भी उठता हैं कि सेलिब्रिटी का आना जब फाइनल हुआ ही नहीं तो किस उद्देश्य से उनके फोटो शहर भर में लगाए गए ।
उठते सवाल जब चंदा सार्वजनिक रूप से लिया जाता है तो उसका हिसाब सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाता ?
गरियाबंद का गरबा इस बार भक्ति और उत्साह से ज्यादा पोस्टर पॉलिटिक्स, बकाया का बोझ और सेलिब्रिटी जादू के नाम पर याद किया जाएगा। जनता के शब्दों में हम तो गरबा करने आए थे, लेकिन यहां तो सिर्फ फोटो और फसाना ही मिला। और इससे बड़ा सवाल की जब कार्यक्रम सार्वजनिक है चंदा सार्वजनिक है तो खर्चा जनता के बीच सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाता ?
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