हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद में जमीन न्याय अमलीपदर के नागेश परिवार को 5 जून को मिली जमीन 15 दिन में फिर रसूखदारों ने कब्जा ली। अब पूरा परिवार भूख हड़ताल पर, बोले इस बार या जमीन मिलेगी या जान जाएगी!
गरियाबंद जिला कलेक्टोरेट के सामने इस वक्त धरती पर बिछी चटाई और उस पर बैठा एक परिवार, पूरे सिस्टम का पोस्टर बन चुका है। खरीपदरा के मुरहा नागेश, उनकी पत्नी और तीन मासूम बच्चे भूख हड़ताल पर बैठे हैं। कारण वही पुराना 7.50 एकड़ पुश्तैनी जमीन, जिस पर कब्जा भी हुआ, आदेश भी हुआ, और फिर… कब्जा फिर से हुआ!

गरियाबंद में जमीन न्याय
गरियाबंद में जमीन न्याय 5 जून को मिली जमीन, 20 जून को गई वापस!
पिछले महीने 5 जून को प्रशासन ने खुद लिखित आदेश के साथ नागेश परिवार को उनकी जमीन लौटाई थी। लेकिन न्याय की ये डिलीवरी सिर्फ 15 दिन चली। गांव के ही रसूखदार परिवार ने न सिर्फ जमीन पर दोबारा कब्जा किया, बल्कि मारपीट कर नागेश परिवार को खदेड़ भी दिया। अब सवाल ये है कि प्रशासन का आदेश क्या सिर्फ ट्रायल वर्जन था? या गरियाबंद में कानून की वैधता की मियाद 15 दिन की होती है?
अब सड़क पर बैठा सिस्टम से टूटा परिवार
न्याय की उम्मीद में नागेश परिवार अब गरियाबंद कलेक्टोरेट के सामने भूखा बैठा है। बच्चों की आंखों में भूख से पहले डर है और मुरहा नागेश की आंखों में सिर्फ एक सवाल सरकारी आदेश की गारंटी कौन देगा?
न्याय नहीं, रिश्वत का हिसाब मिला
नागेश परिवार का आरोप और भी चौंकाने वाला है। उनका कहना है कि बीते पांच वर्षों में राजस्व विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारियों ने उनसे चार से पांच लाख रुपए तक रिश्वत के नाम पर ऐंठ लिए, लेकिन न जमीन मिली और न न्याय। हर बार नई उम्मीद और नया वादा मिला, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात।
प्रशासन अभी भी वेट एंड वॉच मोड में
पूरे मामले पर जिला प्रशासन की तरफ से अब तक कोई बयान नहीं आया है। शायद अफसरों को भी यकीन नहीं हो रहा कि आदेश के बावजूद जमीन फिर से उड़ गई!