गरियाबंद में धान तस्करी का महाखेल शुरू प्रशासन वेट एंड वॉच आसन में लीन, तस्कर बोले मुहूर्त शुभ है ।

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By Sangani

गरियाबंद में धान तस्करी पहले ही ओडिशा से धान तस्करी का खेल शुरू हो गया है। देवभोग बॉर्डर पर तस्कर सक्रिय हैं, पर प्रशासन कुंभकर्णी नींद में है। जानें कैसे हर साल करोड़ों का चूना लग रहा है पढ़े पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।

गरियाबंद जिले में एक बार फिर धान तस्करी का सीजनल खेल शुरू होने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। सरकारी तौर पर धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू होनी है, जिसमें अभी 9 दिन बाकी हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि जिले के उद्यमी तस्करों को इस तारीख का कोई इंतजार नहीं है। सूत्रों से मिली जानकारी और सीमावर्ती इलाकों में चल रही चर्चाओं के अनुसार, ओडिशा बॉर्डर से बड़ी मात्रा में सस्ता धान गरियाबंद के देवभोग अंचल में पहुंचना शुरू हो गया है। यह स्थिति हर साल की तरह इस साल भी कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर तस्कर इतने सक्रिय हैं, तो हमारा सिस्टम इतना शांत क्यों है?

गरियाबंद में धान तस्करी

गरियाबंद में धान तस्करी क्या वेट एंड वॉच में है प्रशासन?

​धान खरीदी शुरू होने में महज कुछ ही दिन शेष हैं। कायदे से, इस समय सीमावर्ती इलाकों पर सबसे ज्यादा सख्ती होनी चाहिए। लेकिन सूत्रों का दावा है कि तस्कर, प्रशासन की तैयारियों से एक कदम आगे चल रहे हैं। वे रात के अंधेरे में और शायद दिन के उजाले में भी, अपना काम कर रहे हैं। ​इस पूरे ऑपरेशन पर प्रशासन की जो धीमी गति दिख रही है, वह थोड़ी हैरान करने वाली है। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी 15 नवंबर का अलार्म लगाकर बैठे हैं और उससे पहले की किसी भी गतिविधि।पर उनका ध्यान नहीं जा रहा है।

सवाल उठाते चेक पोस्ट

​किसी भी तरह की तस्करी को रोकने के लिए चेक पोस्ट सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि देवभोग, झाखरपारा, बीरीघाट, मगरओड़ा, कैंटपदर, तेतलखुटी, खूंटगाँव और इंदागाँव जैसे संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों के चेक पोस्टों पर अभी तक उस तरह की सक्रियता नहीं दिख रही है, जैसी होनी चाहिए।

बड़ा सवाल: सूत्रों का कहना है कि इन चेक पोस्टों पर अभी तक कर्मचारियों की विधिवत तैनाती नहीं की गई है। अगर यह सच है, तो यह तस्करों के लिए किसी खुले निमंत्रण से कम नहीं है। सवाल यह है कि इस तैनाती में देरी क्यों हो रही है?

देवभोग धान के अवैध व्यापार का केंद्र ?

​क्षेत्र में यह चर्चा आम है कि धान तस्करी का सबसे बड़ा खेल देवभोग से लगी ओडिशा सीमा से ही होता है। स्थानीय लोगों के बीच दबी जुबान में यह भी चर्चा है कि इस अवैध व्यापार से जुड़े कई बड़े खिलाड़ी देवभोग में सक्रिय हैं। यह भी आरोप लगते रहे हैं कि इस अवैध कमाई से करोड़ों की संपत्ति अर्जित की गई है। हालांकि, ये आरोप जांच का विषय हैं। लेकिन यह एक गंभीर विषय है कि अगर स्थानीय प्रशासन को इन चर्चाओं की जानकारी है, तो इस खेल को रोकने के लिए हर साल ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जाते? हर साल शासन को करोड़ों के राजस्व नुकसान की आशंका क्यों बनी रहती है?

हमने भी जानने की कोशिश की

​इस पूरे मामले पर प्रशासनिक पक्ष जानने के लिए जब हमने संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया, तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। उनका पक्ष मिलते ही उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा। यह वेट एंड वॉच का खेल कब तक चलेगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन गरियाबंद की जनता यह उम्मीद जरूर कर रही है कि प्रशासन अपनी चुप्पी तोड़ेगा और 15 नवंबर से पहले ही इन अदृश्य तस्करों पर नकेल कसेगा, ताकि सरकारी खजाने को लगने वाले नुकसान को रोका जा सके।

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