हिमांशु …पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद में नक्सल आंदोलन के अंत की ऐतिहासिक शुरुआत! उदंती एरिया कमेटी ने सशस्त्र संघर्ष को विराम देते हुए बाकी यूनिटों (गोबरा, सीतानदी) से भी सरेंडर की अपील की। जानें सोनू दादा और रूपेश दादा के बड़े आत्मसमर्पण के बाद नक्सली संगठन में क्यों आई दरार?
गरियाबंद, छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले से नक्सल आंदोलन के भविष्य को हिला देने वाली एक एक्सक्लूसिव खबर सामने आई है। लंबे समय से इस क्षेत्र में सक्रिय उदंती एरिया कमेटी ने अब सशस्त्र संघर्ष को हमेशा के लिए विराम देने का साहसिक फैसला लिया है। कमेटी ने यह घोषणा महाराष्ट्र के बड़े नक्सली नेता सोनू दादा और बस्तर के रूपेश दादा (उर्फ सतीश दादा) के नेतृत्व में हुए 271 कामरेडों के ऐतिहासिक आत्मसमर्पण के बाद की है।

गरियाबंद में नक्सल आंदोलन का फाइनल ब्रेक डाउन उदंती एरिया कमांडर ने जारी की अपील
उदंती एरिया कमेटी के कामरेड सुनील द्वारा जारी एक आंतरिक अपील पत्र ने नक्सल संगठन में मची उथल-पुथल को उजागर कर दिया है। यह पत्र न केवल हथियार बंद संघर्ष को छोड़ने की बात करता है, बल्कि गोबरा, सीनापाली, एसडीके, और सीतानदी जैसी अन्य सक्रिय यूनिटों को भी हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए भावुक रूप से आमंत्रित करता है।
क्रांति नहीं, अब जिंदगी बचाओ ।
पत्र में संगठन के भीतर की निराशा साफ झलकती है। कामरेड सुनील ने अपने साथियों से अपील करते हुए एक महत्वपूर्ण कारण बताया है: पहले हमें बचना है उसके बाद संघर्ष आगे बढ़ा सकते है। यह लाइन साफ संकेत देती है कि सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और लगातार ऑपरेशनों ने नक्सलियों के सेफ जोन माने जाने वाले इलाकों में भी उनकी जड़ें हिला दी हैं।
अपील में 16 और 17 अक्टूबर 2025 की घटनाओं का जिक्र किया गया है:
- महाराष्ट्र का झटका: 16 अक्टूबर को सोनू दादा ने 61 कामरेडों के साथ हथियार सौंप दिए।
- बस्तर की सुनामी: 17 अक्टूबर कोअपील में 16 और 17 अक्टूबर 2025 की घटनाओं का जिक्र किया गया है: रूपेश दादा के नेतृत्व में 210 कामरेडों ने आत्मसमर्पण किया।
इन आत्मसमर्पणों ने नक्सली संगठन की कमर तोड़ दी है, जिसकी पुष्टि सुनील की इस स्वीकारोक्ति से होती है: आज की परिस्थितियों में सशस्त्र आंदोलन चलाना मुश्किल है, परिस्थितियां सशस्त्र आंदोलन के अनुकूल नहीं है।
संगठन की गलती और नए रास्ते की तलाश
सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब नक्सली नेतृत्व ने स्वयं अपनी गलती मानी। अपील के अनुसार, संगठन की केंद्रीय कमेटी (CC) सही समय पर महत्वपूर्ण निर्णय नहीं ले सकी। कामरेड सुनील लिखते हैं: जिस तरह से क्रांति को चला सकते थे उस तरह से क्रांति को नहीं चला पाये, सीसी सही समय पर निर्णय नहीं ले सकी, यह गलती मानी है। इसी गलती और महत्वपूर्ण साथियों को खोने के डर से प्रेरित होकर, उदंती कमेटी ने अब हथियार छोड़कर जनांदोलनों के साथ जुड़कर जनता की समस्याओं को हल करने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है।
कामरेड सुनील ने बाकी यूनिटों को चेतावनी भरे लहजे में कहा है: आप भी सभी यूनिट के साथी इस सशस्त्र आंदोलन को विराम देने के लिये आयें।… ऐसा ना हो कि कही देर हो जाए।
आगे क्या? गरियाबंद बनेगा शांति का केंद्र!
गरियाबंद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक बड़ी सफलता है। उदंती एरिया कमेटी के इस फैसले से छत्तीसगढ़ ओडिशा सीमा पर सक्रिय गोबरा दलम और सीतानदी दलम जैसे अन्य यूनिटों पर हथियार डालने का जबरदस्त दबाव बनेगा।अगर बाकी यूनिटें भी इस अपील को स्वीकार करती हैं, तो गरियाबंद जिले का यह कदम पूरे छत्तीसगढ़ और देश में नक्सल समस्या के समाधान में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। यह घटना साबित करती है कि ‘लाल आतंक’ का साम्राज्य अब बिखरने की कगार पर है और हिंसा के रास्ते पर चलने वाले कामरेड भी अब अपने लिए एक सुरक्षित और नई जिंदगी की तलाश कर रहे हैं।
जनता से अपील अगर आपके पास दिए गए नंबर (9329913220) से जुड़े कोई संपर्क या जानकारी है, तो कृपया उसे सीधे पुलिस या सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचाएं। यह जानकारी शांति बहाली के प्रयासों में महत्वपूर्ण हो सकती है।)
गरियाबंद पुलिस का शांति संदेश और एसपी का स्वागत
महाराष्ट्र और बस्तर में हुए बड़े आत्मसमर्पण के बाद, उदंती एरिया कमेटी के सशस्त्र संघर्ष विराम की घोषणा को गरियाबंद जिला प्रशासन ने एक बड़ी सफलता के रूप में देखा है।
गरियाबंद के पुलिस अधीक्षक (SP), निखिल राखेचा, ने नक्सलियों के इस ऐतिहासिक फैसले का गर्मजोशी से स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि जिला पुलिस लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विश्वास-विकास-सुरक्षा के मॉडल पर काम कर रही है और नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की लगातार अपील करती आ रही है।
एसपी राखेचा ने कहा:
यह खबर हमारे उन निरंतर प्रयासों की सफलता है, जिनके तहत हम लगातार इन भटके हुए लोगों को शांति का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। हम लंबे समय से उदंती एरिया कमेटी और अन्य दलों से अपील कर रहे थे कि वे अपने हथियार डालें और मुख्यधारा में लौटकर राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें। सोनू दादा और रूपेश दादा के बड़े आत्मसमर्पण के बाद लिया गया उदंती कमेटी का यह निर्णय दर्शाता है कि नक्सली अब समझ चुके हैं कि उनका रास्ता खत्म हो चुका है।
एसपी ने यह भी दोहराया कि जो कामरेड अब भी जंगलों में हैं, उनके लिए पुनर्वास के दरवाजे खुले हैं। उन्होंने गोबरा, सीतानदी और अन्य यूनिटों को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ लेने के लिए यह सही समय है, अन्यथा सुरक्षा बलों का अभियान और भी तेज कर दिया जाएगा। पुलिस प्रशासन ने पुष्टि की है कि आत्मसमर्पण करने वाले कामरेडों को सरकार की नीति के तहत सभी आवश्यक मदद दी जाएगी, ताकि वे सम्मान के साथ एक नई जिंदगी शुरू कर सकें।
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