36 साल की नौकरी, अब सड़क पर बैठने की मजबूरी! वनोपज समिति प्रबंधकों ने संभाली गांधी मैदान की कमान ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी

गरियाबंद, छत्तीसगढ़ | Pairi Times 24×7
जिला मुख्यालय में शनिवार की सुबह गांधी मैदान का नजारा बदला-बदला सा था। हाथ में बैनर, चेहरे पर गुस्सा और दिल में उम्मीद — ये कोई चुनावी सभा नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ लघु वनोपज सहकारी समिति प्रबंधकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल थी, जो पूरे प्रदेश में 5 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुकी है।

36 वर्षों की सेवा के बावजूद अधर में भविष्य

36 वर्षों की सेवा के बाद भी ना वेतन तय, ना भविष्य सुरक्षित!
प्रबंधकों का कहना है कि उन्होंने तीन दशक से ज्यादा समय वनोपज समितियों को खड़ा करने में बिता दिया, लेकिन जब बात उनके हक की आई, तो पूरा सिस्टम मौन साध गया। रायपुर स्थित संघ ने 31 मार्च तक मांगे पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन जब जवाब नहीं मिला, तो गरियाबंद जिला यूनियन ने भी हड़ताल की राह पकड़ ली।

प्रबंधकों की मुख्य मांगे कुछ इस प्रकार हैं:

  1. 36 वर्षों से कार्यरत प्रबंधकों को वेतन मैट्रिक्स के अनुसार नियमित किया जाए।
  2. वेतन सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर हो।
  3. उच्चतर वेतनमान की एरियर राशि 27/09/2023 से दी जाए।
  4. सेवानिवृत्ति के बाद उसी समिति में संविदा नियुक्ति मिले।
  5. 27/02/2020 के हाईकोर्ट आदेश का पालन हो।
  6. मृत्यु पर आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति मिले।
  7. सेवा निवृत्ति/मृत्यु पर एकमुश्त उपादान राशि दी जाए।

‘अब अगर नुकसान होगा, तो जिम्मेदार शासन और संघ!’
हड़ताल पर बैठे प्रबंधकों ने साफ कहा कि उनके क्षेत्र में किसी भी प्रकार की हानि की जिम्मेदारी अब शासन और वनोपज संघ की होगी। क्योंकि जब मांगे जायज हों और समाधान न मिले, तो आंदोलन ही एकमात्र रास्ता बचता है।

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HIMANSHU SANGANI प्रधान संपादक - PAIRITIMES24×7 OPP POST OFFICE,MAIN ROAD,GARIYABAND,CHHATTISHGARH Mobile - 8225022000/8225022001

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