पर्यावरण संरक्षण की नई मिसाल: परसतराई गांव में मुंह दिखाई की रस्म में पौधा भेंट करने की परंपरा ।

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By Himanshu Sangani

धमतरी, 19 नवंबर। छत्तीसगढ़ के परसतराई गांव ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल करते हुए पारंपरिक सामाजिक रस्मों में बदलाव किया है। यहां, गांव की नई बहुरानियों को मुंह दिखाई की रस्म में फलदार पौधा भेंट करने की अनोखी परंपरा शुरू की गई है। इस पहल का मकसद न केवल परंपरा को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाना है, बल्कि यह संदेश भी देना है कि हर नई शुरुआत के साथ प्रकृति की देखभाल का संकल्प लिया जाए।

पर्यावरण संरक्षण की इस परंपरा की दूसरे गांवो में भी हो शुरुआत ।


5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर इस परंपरा की शुरुआत की घोषणा हुई थी। गांव के लोगों ने मिलकर तय किया कि जब भी कोई बेटी अपने ससुराल जाए या कोई बाहरी बहुरानी इस गांव में आए, तो उसे एक पौधा भेंट किया जाएगा। हाल ही में इस पहल की पहली मिसाल भूपेंद्र श्रीवास की शादी के दौरान देखने को मिली, जब उनकी पत्नी वासिनी श्रीवास को पूरे गांव की ओर से आंवले का पौधा भेंट किया गया। इस कदम ने गांव के लोगों में एक नया उत्साह भरा है। सामाजिक कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण की झलक ने बाहर से आए मेहमानों का ध्यान भी खींचा और उन्होंने इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की। मेहमानों ने इसे अन्य गांवों में अपनाने की भी सलाह दी, ताकि पर्यावरण जागरूकता और संरक्षण को बढ़ावा मिल सके।

नवविवाहित दंपति ने किया इस पहल का स्वागत ।


नव विवाहित दंपति ने गांव की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह पौधा उनके लिए सिर्फ एक तोहफा नहीं, बल्कि पर्यावरण के प्रति एक जिम्मेदारी का प्रतीक है। वासिनी श्रीवास ने इसे अपने आंगन में लगाने और उसकी देखभाल करने का वादा किया। परसतराई गांव का यह कदम एक मिसाल के रूप में उभर रहा है, जो पर्यावरणीय संरक्षण और सामुदायिक सहभागिता का शानदार उदाहरण है। उम्मीद की जा रही है कि इस पहल से प्रेरणा लेकर अन्य गांव भी अपने सामाजिक और पारिवारिक कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देंगे।

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