रवि कुमार / दुर्ग
भिलाई। साइबर अपराध ने अब एक नई और खतरनाक शक्ल ले ली है। भिलाई में रुआंबांधा सेक्टर के निवासी और निजी कंपनी “रश्मि ग्रुप” के वाइस प्रेसिडेंट इंद्रप्रकाश कश्यप (51) को साइबर अपराधियों ने फर्जी सुप्रीम कोर्ट वारंट और कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर 49 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया। यह मामला न केवल ठगी के पैटर्न की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि नागरिकों को सतर्क रहने की चेतावनी भी देता है।
कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट?
यह घटना तब शुरू हुई जब 7 नवंबर को खड़गपुर में रहते हुए कश्यप को एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि उनके आधार कार्ड से एक सिम कार्ड जारी हुआ है, जिसका इस्तेमाल आपत्तिजनक संदेश भेजने के लिए किया गया। इसके बाद ठग ने कॉल मुंबई साइबर ब्रांच के “अधिकारी” से जोड़ दिया।यहां से शुरू हुआ डराने-धमकाने का सिलसिला। ठगों ने कश्यप को बताया कि उनके नाम से फर्जी बैंक खाते खोले गए हैं और करोड़ों रुपये का संदिग्ध लेन-देन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट और सीबीआई जांच का झांसा देकर उन्हें 5 दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा गया। ठगों ने वीडियो कॉल के जरिए उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी और लगातार मानसिक दबाव बनाते रहे।
ठगी की चाल: सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट
साइबर अपराधियों ने कश्यप को बताया कि उन्हें एक “सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट (SSA)” बनाना होगा, जिसमें वे अपनी सभी बैंक खातों की रकम ट्रांसफर करें। ठगों ने इस रकम को सुरक्षित रखने और जांच पूरी होने पर वापस करने का वादा किया। इस दौरान 49 लाख रुपये उनके बताए गए खातों में ट्रांसफर करवा लिए गए। कश्यप को भिलाई आने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि उनके बैंक डॉक्यूमेंट्स यहां थे। ठगों ने ट्रेन में यात्रा के दौरान भी उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी। 11 नवंबर को भिलाई पहुंचकर कश्यप ने ठगों के निर्देशानुसार पैसा ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद ठगों ने फोन बंद कर लिया।
पुलिस का बयान और सतर्कता की अपील
भिलाई नगर पुलिस अधीक्षक सत्य प्रकाश तिवारी ने बताया कि मामले की जांच तेजी से की जा रही है। साइबर अपराधियों की पहचान और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं। साथ ही उन्होंने नागरिकों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध कॉल पर तुरंत पुलिस को सूचित करने की अपील की।