गरियाबंद: शिक्षकों की समस्याओं पर जनप्रतिनिधियों का फोकस, पूर्वसेवा गणना मिशन में सौंपा गया ज्ञापन ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद

गरियाबंद जिले में छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा द्वारा आयोजित “पूर्वसेवा गणना मिशन” शिक्षकों के अधिकारों की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। इस अभियान के तहत महासमुंद सांसद माननीया रुप कुमारी चौधरी और राजिम विधायक माननीय रोहित साहू को शिक्षकों की प्रमुख मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया।

मुद्दों पर फोकस: एक नए आंदोलन की तैयारी

ज्ञापन में शिक्षकों ने अपनी पांच प्रमुख मांगें रखीं, जिनमें वेतन विसंगति दूर करना, पेंशन लाभ सुनिश्चित करना, महंगाई भत्ता एरियर का भुगतान, और उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार क्रमोन्नति का आदेश शामिल है। शिक्षकों का कहना है कि वे लंबे समय से इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन अब समाधान के लिए निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं।

सांसद और विधायक की सक्रियता

ज्ञापन सौंपने के दौरान सांसद रुप कुमारी चौधरी और विधायक रोहित साहू ने शिक्षकों को आश्वस्त किया कि वे इन मुद्दों को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तक पहुंचाएंगे और समाधान के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उनका कहना था कि शिक्षकों की समस्याएं शिक्षा व्यवस्था की नींव को प्रभावित करती हैं, और इसे प्राथमिकता दी जाएगी।

शिक्षकों का संगठनात्मक प्रभाव,संघर्ष का बढ़ता दायरा

इस अभियान में मोर्चा के प्रदेश सह संयोजक गिरिश शर्मा और जिला संयोजक परमेश्वर निर्मलक सहित अन्य पदाधिकारी जैसे नंदकुमार रामटेके, जितेंद्र सोनवानी, खुर्शीद अहमद सिद्दीकी और सुभाष जोशी ने नेतृत्व किया। उनके मजबूत संगठनात्मक प्रयासों से यह अभियान शिक्षक समुदाय की ताकत और उनके हक की लड़ाई को दर्शाता है छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा का यह कदम केवल गरियाबंद तक सीमित नहीं रहेगा। पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो यह आंदोलन प्रदेशभर में व्यापक रूप लेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षकों की मांगों पर जल्द फैसला लेना होगा, अन्यथा संघर्ष और तेज होगा।

एकजुटता की मिसाल

इस मिशन के जरिए शिक्षकों ने न केवल अपनी मांगें उठाईं, बल्कि यह भी दिखाया कि समुदाय की एकजुटता कैसे बड़े बदलाव ला सकती है। यह पहल छत्तीसगढ़ के शिक्षकों के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं। शिक्षा और अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ, यह आंदोलन सरकार को शिक्षकों के मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई के लिए मजबूर कर सकता है।

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