हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
गरियाबंद जिले के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को झटका देते हुए एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई है। 7 नवंबर को पोटाश बम चबाने से घायल हुए हाथी के बच्चे का उपचार आखिरकार 20 दिनों के लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद शुरू हो पाया है। वन विभाग की निगरानी और डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम द्वारा घायल हाथी का इलाज किया जा रहा है।
थर्मल ड्रोन से मिली बड़ी सफलता
घटना के बाद से ही 35-40 हाथियों के झुंड पर थर्मल ड्रोन की मदद से नजर रखी जा रही थी। घायल हाथी के बच्चे को उसके झुंड से अलग किए बिना उपचार करना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती साबित हुआ। हाथियों का झुंड लगातार इलाके में सक्रिय रहा, जिससे रेस्क्यू टीम के लिए काम और कठिन हो गया।
क्या है पोटाश बम?
पोटाश बम एक अवैध शिकार उपकरण है, जिसे खाने के बाद जानवर गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। इसे ज्यादातर फसलों की सुरक्षा के नाम पर बिछाया जाता है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव वन्यजीवों पर पड़ता है। इस घटना ने वन विभाग को शिकारियों और फसल सुरक्षा के नाम पर हो रहे अवैध हथकंडों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत को फिर से उजागर किया है।
वन विभाग की प्रतिक्रिया
वन विभाग के उच्च अधिकारी इस घटना को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने बताया कि घायल हाथी का उपचार सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ किया जा रहा है ताकि झुंड में अशांति न फैले। डॉक्टरों की टीम पूरी सतर्कता के साथ बच्चे के जख्मों का इलाज कर रही है।
स्थानीय लोगों के लिए चेतावनी
यह घटना केवल वन्यजीवों के लिए ही नहीं, बल्कि इंसानों के लिए भी एक चेतावनी है। पोटाश बम जैसे अवैध साधनों का इस्तेमाल न केवल अपराध है, बल्कि यह मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी बढ़ावा देता है। वन विभाग ने स्थानीय समुदायों से अपील की है कि वे वन्यजीव संरक्षण में सहयोग करें और ऐसी घटनाओं की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें। इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि वन्यजीव संरक्षण की जिम्मेदारी केवल वन विभाग की नहीं, बल्कि हम सभी की है।