हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
गरियाबंद, 30 नवंबर: जिले में नाबालिगों के वाहन चलाने के बढ़ते मामलों पर यातायात पुलिस ने सख्त कदम उठाते हुए पालकों और बच्चों के लिए चेतावनी जारी की है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा गया, तो उसके अभिभावक को भारी जुर्माना और कानूनी सजा का सामना करना पड़ सकता है।
नियमों का उल्लंघन पड़ सकता है भारी ।
मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। इसके बावजूद, कई नाबालिग बाइक और कार चलाते देखे जाते हैं। गरियाबंद पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने बताया कि “यदि नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा गया तो उसके अभिभावक या वाहन मालिक पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा और 3 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही वाहन का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।”
पालकों की जिम्मेदारी पर जोर
पुलिस ने अभिभावकों को चेताया है कि वे अपने नाबालिग बच्चों को वाहन की चाबी सौंपने से बचें। बच्चों द्वारा ट्रैफिक नियमों की अनदेखी से सड़क हादसे बढ़ रहे हैं, जिनमें उनकी जान खतरे में पड़ सकती है। “बच्चों को वाहन देने का मतलब है उनकी सुरक्षा और भविष्य के साथ खिलवाड़ करना,” पुलिस ने यह सख्त संदेश दिया है।
स्कूलों और समाज के लिए चेतावनी ,बच्चों के लिए खतरा और परिवार के लिए नुकसान
पुलिस ने स्कूलों को सर्कुलर भेजकर बच्चों को जागरूक करने के प्रयास किए हैं। इसके बावजूद, सड़क पर नाबालिग चालकों की संख्या कम नहीं हो रही है। यातायात पुलिस ने चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसे मामलों में सीधे अभिभावकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नाबालिग चालक खुद को और दूसरों को खतरे में डालते हैं। सड़क पर अनुभवहीनता के कारण दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ ही, अभिभावकों को जुर्माने और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, जो परिवार के लिए आर्थिक और सामाजिक रूप से नुकसानदायक साबित हो सकता है।
एसपी ने की अपील
एसपी निखिल राखेचा ने कहा, “बच्चों को 18 साल की उम्र से पहले वाहन चलाने की अनुमति देना उन्हें हादसों की ओर धकेलना है। हम सभी से अपील करते हैं कि वे अपने बच्चों को नियमों का पालन करना सिखाएं और वाहन की चाबी केवल जिम्मेदार हाथों में सौंपें।”यह चेतावनी अभिभावकों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराने के साथ ही बच्चों को यातायात नियमों का महत्व समझाने का प्रयास है। अब समय आ गया है कि माता-पिता इस मुद्दे को गंभीरता से लें और सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दें।