देवभोग: ‘हर घर जल’ योजना का हश्र, टंकियां बनीं दिखावा, पानी के नाम पर छलावा ।

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By Himanshu Sangani

विपिन सोनवानी / देवभोग

देवभोग। केंद्र सरकार की बहुचर्चित योजना ‘जल जीवन मिशन’ का सपना हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का था, लेकिन देवभोग ब्लॉक के गांवों में यह योजना सिर्फ फाइलों में सिमटती नजर आ रही है। टिकरापारा, केन्दूबंद, मूंगिया और टेमरा जैसे गांवों में जल टंकी निर्माण और पाइपलाइन विस्तार के नाम पर ऐसी लापरवाहियां हो रही हैं कि योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिख रही है।

क्या पानी के नाम पर जनता को धोखा दिया जा रहा है?

ग्रामीणों का कहना है कि पानी की समस्या हल होने की बजाय और बढ़ गई है। कई जगहों पर टंकियां बनने से पहले ही जर्जर हो गईं। सीपेज, सीढ़ियों में दरारें और घटिया निर्माण ने सवाल खड़े कर दिए हैं। ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों पर आरोप हैं कि बिना जांच के बोरवेल खोद दिए गए, जिनमें पानी का नामोनिशान नहीं है।

खतरे में ग्रामीणों की जान,2024 का लक्ष्य धुंधला

पाइपलाइन विस्तार में भी अनियमितताओं का सिलसिला जारी है। ग्रामीणों ने बताया कि पाइपलाइन के लिए खोदे गए गड्ढों को कंक्रीट नहीं किया गया, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है। कई जगहों पर काम अधूरा है, लेकिन ठेकेदारों ने पूरा भुगतान ले लिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकारी योजनाएं जनता की भलाई के लिए हैं या ठेकेदारों की तिजोरी भरने के लिए? सरकार का वादा था कि 2024 तक हर घर को नल के माध्यम से शुद्ध पानी मिलेगा। लेकिन अब, जब 2024 खत्म होने में सिर्फ एक महीना बचा है, लोगों को यह सवाल कचोट रहा है: क्या यह योजना सिर्फ एक चुनावी नारा बनकर रह जाएगी?

ग्रामीणों में बढ़ रहा आक्रोश,सरकार और प्रशासन को जवाब देना होगा

केन्दूबंद और अन्य गांवों के ग्रामीण अब सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही ने उनकी बुनियादी जरूरतों के साथ खिलवाड़ किया है। गांवों में पानी न होने के कारण महिलाओं को मीलों दूर तक पानी लाने जाना पड़ता है। यदि जिम्मेदारों पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह योजना असफलता का प्रतीक बन जाएगी। पब्लिक का पैसा और भरोसा दोनों बर्बाद हो रहा है। देवभोग के हालात यह स्पष्ट कर रहे हैं कि ‘हर घर जल’ केवल कागजों में बह रहा है, जमीन पर नहीं।

सरकार और प्रशासन को अब जवाब देना होगा कि क्या यह योजना केवल प्रचार का माध्यम थी, या जनता को राहत देने का वादा? ग्रामीणों की आवाज और नाराजगी अब दबाई नहीं जा सकती।

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