आदित्य शुक्ला / धमतरी
धमतरी, छत्तीसगढ़। अगर आपको किसी के लिए समाधि की बात सुनने को मिले, तो आमतौर पर यह किसी की मृत्यु के बाद की प्रक्रिया लगती है। लेकिन क्या हो अगर कोई व्यक्ति खुद अपनी समाधि तैयार कर ले और उसमें बैठने की तैयारी भी कर रहा हो? रुद्री थाना क्षेत्र के ग्राम कसावाही में कुछ ऐसा ही हुआ, जब 65 वर्षीय बैगा फूल सिंह निर्मलकर ने अपनी “जीवित समाधि” की योजना बनाकर सबको चौंका दिया।
आध्यात्मिक यात्रा का अंतिम विश्राम किया घोषित ।
समाधि स्थल पर फूलों की सजावट और गांववालों का जमावड़ा
बैगा फूल सिंह ने अपने घर के सामने एक गड्ढा खुदवाकर उसे फूलों से सजवाया और इसे अपना अंतिम विश्राम स्थल घोषित कर दिया। गांव में चर्चा थी कि यह उनकी “आध्यात्मिक यात्रा” का अंतिम चरण है। उत्सुक ग्रामीण बड़ी संख्या में इस “समाधि आयोजन” को देखने के लिए जुट गए।
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प्रशासन की ‘समाधि से वापसी’ मिशन
जैसे ही यह अजीबोगरीब घटना प्रशासन के कानों तक पहुंची, तहसीलदार सूरज बंछोर और रुद्री थाना प्रभारी की टीम तुरंत गांव पहुंची। उन्होंने बैगा को इस ‘आध्यात्मिक योजना’ से रोका और जिला अस्पताल में भर्ती कराया। अब बैगा का इलाज मनोचिकित्सक की देखरेख में चल रहा है।
24 साल का झाड़-फूंक और समाधि का फैसला
बैगा फूल सिंह पिछले 24 साल से झाड़-फूंक और पारंपरिक चिकित्सा में सक्रिय थे। उनका दावा है कि उन्होंने यह फैसला पूरी शांति और संतोष के साथ लिया था। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने नाती को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था।
अंधविश्वास या ‘लोकल माइथोलॉजी,फिलहाल क्या स्थिति है?
यह घटना केवल मनोरंजक नहीं, बल्कि समाज में अंधविश्वास की गहराई को भी उजागर करती है। हालांकि, प्रशासन ने स्थिति को संभालते हुए बैगा को समझाया कि उनकी समाधि योजना को रोकना जरूरी है। फूल सिंह के परिवार ने भी इस घटना पर चुप्पी साध रखी है। प्रशासन का कहना है कि इलाज के बाद उन्हें छोड़ा जाएगा और भविष्य में ऐसा कदम न उठाने की समझाइश दी जाएगी। इस बीच, गांव में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि बैगा की समाधि की योजना क्या वास्तव में आध्यात्मिक प्रेरणा थी या फिर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास।