ई-कुबेर को दरकिनार कर नगद भुगतान का मामला, डीएफओ अशोक पटेल पर गहराया संकट ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी/ गरियाबंद

नरवा विकास योजना में अनियमितता के आरोप, उच्चस्तरीय जांच के आदेश

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में वन विभाग के कामकाज पर पारदर्शिता लाने के लिए लागू किए गए ई-कुबेर भुगतान प्रणाली को लेकर इन दिनों जमकर चर्चा हो रही है। इसी बीच, सुकमा के डीएफओ अशोक पटेल पर आरोप लगा है कि उन्होंने इस प्रणाली को दरकिनार करते हुए नगद भुगतान की अनुमति दी, जिससे करोड़ों रुपए की अनियमितता का मामला सामने आया है।

नरवा विकास योजना में अनियमितता का आरोप
राज्य कैंपा मद के तहत नरवा विकास योजना के अंतर्गत स्वीकृत 1.5 करोड़ की राशि कार्य पूर्ण हुए बिना ही निकाल ली गई। जांच में पाया गया कि केवल 7-8 लाख का कार्य ही संपन्न हुआ था। ऐसे ही 16 अन्य कार्यों में भी इसी प्रकार की अनियमितता की शिकायतें दर्ज हुई हैं।

डीएफओ का आदेश सवालों के घेरे में
शिकायतकर्ता और आरटीआई कार्यकर्ता शेख करीम ने इस मामले में एक पत्र का उल्लेख किया, जिसमें डीएफओ अशोक पटेल ने गीदम की महिला रोपणी समिति को 8.84 लाख रुपये की नगद आहरण की अनुमति दी थी। इस पत्र को ई-कुबेर प्रणाली के नियमों का उल्लंघन बताया जा रहा है।

सीसीएफ ने दिए जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए सीसीएफ आरसी दुग्गा ने उच्चस्तरीय जांच दल का गठन किया है। इस जांच में शिकायतकर्ता की मौजूदगी को अनिवार्य किया गया है, जिससे इसे पारदर्शी प्रक्रिया माना जा रहा है। जांच दल को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

क्या कहता है ई-कुबेर विवाद?
ई-कुबेर प्रणाली को भ्रष्टाचार रोकने के लिए लाया गया था, लेकिन इससे विभागीय अधिकारियों की अनियमित आय पर रोक लग गई। इस नई प्रणाली को लेकर वन विभाग के भीतर विरोध बढ़ रहा है, जो इस मामले को और अधिक संवेदनशील बना रहा है।

क्या होगी कार्रवाई?
शिकायतकर्ता करीम शेख की उपस्थिति में हो रही जांच से उम्मीद जताई जा रही है कि यह मामला जल्द सुलझेगा। अगर आरोप साबित होते हैं, तो डीएफओ अशोक पटेल और अन्य संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।

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