हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
गरियाबंद के बारुका गांव में सोमवार को सुबह से शाम तक तेंदुए और इंसानों के बीच एक अनोखा संघर्ष देखने को मिला। तेंदुए के दो हमलों और तीन घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया, लेकिन इस दौरान ग्रामीणों की सूझबूझ और हिम्मत की कहानी भी सामने आई।
पहला हमला जंगल मे घात लगाकर वार
सुबह करीब 10:30 बजे 34 वर्षीय मनहरन यादव पर तेंदुए ने तब हमला किया जब वह जंगल में चारा इकट्ठा कर रहे थे। घायल मनहरन किसी तरह अपनी जान बचाकर गांव लौटे, जहां से उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया। इस घटना से गांव में भय का माहौल बन गया।
दूसरा हमला आंगन से मासूम को उठाने की कोशिश
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। तेंदुआ दोपहर में फिर लौट आया और एक घर के आंगन में खेल रही 3 साल की बच्ची को उठाने की कोशिश की। परिजनों की चीख-पुकार और हल्ला सुनकर तेंदुआ भाग तो गया, लेकिन कुछ देर बाद फिर उसी घर की बाड़ी में घुस आया।
ग्रामीणों की बहादुरी और 2 घंटे का रेस्क्यू
ग्रामीणों ने बिना घबराए वॉलीबॉल का नेट इस्तेमाल कर तेंदुए को फंसाने में सफलता पाई। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और तीन घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद तेंदुए को पिंजरे में कैद कर लिया गया। उसे रायपुर के जंगल सफारी भेजा गया।
ग्रामीणों का सवाल क्या तेंदुआ बच पायेगा
इस घटना के बाद ग्रामीणों में राहत और सवाल दोनों हैं। कुछ का मानना है कि तेंदुआ इतनी देर तक संघर्ष के कारण गंभीर स्थिति में पहुंच गया था। वहीं, वन विभाग के डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने स्थिति की पुष्टि के लिए जांच का भरोसा दिया है।