हिमांशु साँगाणी/गरियाबंद
केंद्र सरकार पर कृषि मंडियों को खत्म करने और कॉरपोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप ।
गरियाबंद: मोदी सरकार द्वारा लाई गई नई कृषि बाजार एवं विपणन नीति 2024 को लेकर देशभर में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ में भी भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेतृत्व में 23 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
क्या है किसानों की आपत्ति?
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) छत्तीसगढ़ के महासचिव तेजराम विद्रोही ने आरोप लगाया है कि यह नीति तीन कृषि कानूनों की वापसी के समान है, जिसे किसान आंदोलन के दबाव में पहले रद्द किया गया था। उनका कहना है कि इस नीति के जरिए कृषि मंडियों को समाप्त कर, बाजारों पर कॉरपोरेट कंपनियों का कब्जा कराया जा रहा है।
नई नीति में निजी थोक बाजार स्थापित करने, कॉरपोरेट प्रोसेसर और निर्यातकों को खेतों से सीधे फसल खरीदने की अनुमति देने, और एफसीआई गोदामों की जगह निजी गोदामों को बढ़ावा देने जैसे प्रावधान शामिल हैं। विद्रोही का कहना है कि इससे छोटे और मझोले किसान बर्बाद हो जाएंगे और सार्वजनिक वितरण प्रणाली कमजोर होगी।
एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग
किसानों का कहना है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी लागू करने, कृषि में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने, कर्ज माफी, और किसानों को पेंशन जैसी मांगों पर सरकार चुप है। इसके अलावा, पंजाब में 25 दिनों से अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की खराब तबीयत पर चिंता जताई गई है।
क्या होगा 23 दिसंबर को?
भारतीय किसान यूनियन के सदस्य 23 दिसंबर को सुबह 12 बजे गरियाबंद में एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा। किसान संगठनों का कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
किसानों का संदेश साफ है: “हमें कॉरपोरेट कंपनियों की दया पर नहीं, अपनी मेहनत का वाजिब दाम चाहिए।”