हिमांशु साँगाणी / गरियाबंद
गरियाबंद। जिले में अवैध रेत खनन का खेल अब हाईटेक हो चला है। रेत माफिया प्रशासन के हर कदम पर ‘तू डाल-डाल मैं पात-पात’ की कहावत को सच साबित कर रहे हैं। शनिवार रात प्रशासन ने मोहरा, कोपरा, कुरुसकेरा, फिंगेश्वर और चौबेबांधा की खदानों पर छापा मारा, लेकिन नतीजा सिफर। जैसे ही टीम वापस लौटी, माफिया फिर से अपने काम में जुट गए।

प्रशासन का बम, माफिया का डिफ्यूज़र
जिले के रेत माफिया अब इतने शातिर हो गए हैं कि प्रशासन की हर चाल को पहले ही भांप लेते हैं। सूत्र बताते हैं कि छापेमारी की भनक माफियाओं को पहले ही लग चुकी थी। शुक्रवार तक जिन खदानों में रेत का धुआंधार खनन हो रहा था, वे शनिवार की रात को अचानक शांत हो गईं। लेकिन जैसे ही छापेमारी टीम ने खदानें छोड़ीं, माफियाओं ने फिर से चैन माउंटेन की गड़गड़ाहट शुरू कर दी।
वाहवाही के लिए हाईवा जब्त, असली खिलाड़ी छूट
प्रशासन ने छापेमारी के नाम पर हाईवा गाड़ियां जब्त कर वाहवाही बटोरने की कोशिश कर रहा है मगर सबसे मजेदार बात यह कि जिन हाइवा को जब्त किया गया है वह उन्ही खदानों से लोड होकर निकली है जहाँ अवैध उत्खनन हो रहा है । लेकिन सवाल यह भी है कि हाइवा लोड करने बाद मशीन कहाँ अदृश्य हो जा रही है जो विभाग को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है । नजारा साफ करता है कि माफिया प्रशासन से दो कदम आगे हैं।
धमतरी का बॉर्डर बना ‘शूटिंग लोकेशन’
खनिज अधिकारी फागुलाल नागेश ने बताया कि कुरुसकेरा, फिंगेश्वर और चौबेबांधा की खदानें धमतरी जिले की सीमा से सटी हैं। जैसे ही छापेमारी की खबर मिलती है, माफिया अपनी चैन माउंटेन मशीनों को धमतरी की ओर खिसका देते हैं। प्रशासन इस सीमा-पार की चालबाजी में पूरी तरह उलझा हुआ नजर आता है।
क्या करें, माफिया हैं बड़े खिलाड़ी
रेत माफिया अब किसी प्रोफेशनल जासूस की तरह काम करते हैं। प्रशासन का प्लान उनकी कानों तक पहले ही पहुंच जाता है। नतीजा? प्रशासन हाथ मलता रह जाता है और माफिया रेत की गाड़ियां निकालने में लगे रहते हैं।
अब सवाल यह है कि प्रशासन की यह “हाईवा जप्ती” से वाहवाही लूटने की रणनीति कब तक चलेगी और असली खिलाड़ियों तक हाथ कब पहुंचेगा? जनता इंतजार कर रही है, और माफिया चैन माउंटेन चला रहे हैं।