हिमांशु साँगाणी/ गरियाबंद
गरियाबंद बस स्टैंड पर स्थित एकमात्र शुलभ शौचालय इन दिनों किसी सरकारी दफ्तर की तरह व्यवहार कर रहा है—कभी टैंकर के सहारे खुलता है, तो कभी बिना नोटिस के बंद हो जाता है। बीते तीन दिनों से पानी संकट के कारण यह शौचालय यात्रियों, खासकर महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।

“खुल जा सिम सिम” भी नहीं कर रहा काम !
पहले दो दिन तक शौचालय में टैंकर के सहारे पानी पहुंचाया जा रहा था, लेकिन टैंकर का पानी खत्म होते ही इसकी ‘सेवा’ भी खत्म हो जा रही थी। कल शाम से तो मामला और गंभीर हो गया—शौचालय पर ताला लटक गया! अब बाहर से आने-जाने वाली महिलाएं वहां तक पहुंचकर मायूस लौट रही हैं।
नगर पालिका: ‘हमें खबर नहीं!’
जब इस मुद्दे पर नगर पालिका अधिकारी गिरिश कुमार से बात की गई, तो उन्होंने समस्या से अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि वे “जल्द ही पता कराएंगे और शौचालय चालू करवाएंगे।” यानी नगर पालिका को अब तक भनक तक नहीं थी कि शहर के मुख्य बस स्टैंड का इकलौता शौचालय तीन दिन से बंद पड़ा है!
सवाल वही, जवाब वही!
यह कोई पहली बार नहीं है जब सार्वजनिक सुविधाओं की हालत बदहाल हुई है और अधिकारी ‘खबर नहीं’ का रटा-रटाया जवाब देते नजर आए हैं। सवाल यह है कि जब नागरिक सुविधाएं ठप हो जाती हैं, तो जिम्मेदारों तक इसकी सूचना आखिर क्यों नहीं पहुंचती?
फिलहाल, शहर की महिलाओं को इस ‘शौचालय ताला-लीला’ से कब मुक्ति मिलेगी, यह तो नगर पालिका ही जाने!