हिमांशु साँगाणी गरियाबंद
महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद में पुलिस ने अपराध और पर्यावरण के बीच एक नई कहानी लिखी। 2016 से 2024 के बीच जब्त किए गए करीब 938.545 किलो गांजे को नष्ट करने का फैसला एक अनोखे तरीके से किया गया। यह गांजा न केवल नष्ट हुआ, बल्कि इसे बिजली बनाने के लिए बालाजी पावर प्लांट, मुढेना के बायलर में जलाया गया। इस गांजे की कीमत लगभग डेढ़ करोड़ रुपये आंकी गई थी।

नशे से उजाले तक का सफर
सामान्य तौर पर, जब्त किए गए नशीले पदार्थों को या तो मिट्टी में दबा दिया जाता है या नष्ट कर दिया जाता है। लेकिन महासमुंद पुलिस ने इस बार एक नई मिसाल कायम की। गांजे को पावर प्लांट के बायलर में डालकर बिजली उत्पादन में लगाया गया। यह कदम दर्शाता है कि कैसे नकारात्मक वस्तुओं को सकारात्मक उपयोग में बदला जा सकता है।
डेढ़ करोड़ के गांजे से बना उजाला
महासमुंद पुलिस का यह कदम सिर्फ कानून व्यवस्था का हिस्सा नहीं, बल्कि ऊर्जा उत्पादन का एक अनूठा प्रयास भी है। इस पहल से यह संदेश मिलता है कि जब्त सामग्री को केवल नष्ट करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे समाज के हित में उपयोग किया जा सकता है।
नशे के खिलाफ सख्त संदेश
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में नशा विरोधी अभियान को मजबूत करने के लिए यह घटना मील का पत्थर साबित हो सकती है। पुलिस ने न केवल अपराधियों पर शिकंजा कसा, बल्कि नशे के व्यापार से अर्जित संपत्ति को पूरी तरह खत्म कर दिया।
समाज और पर्यावरण के लिए जीत
इस कार्रवाई ने यह भी साबित किया कि अपराध और पर्यावरण संरक्षण के बीच तालमेल बिठाया जा सकता है। जब्त गांजे से बिजली बनाना न केवल एक दूरदर्शी कदम है, बल्कि यह अपराध के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी देता है।
क्या यह मॉडल अन्य राज्यों में लागू होगा?
महासमुंद का यह प्रयोग एक उदाहरण है, जिसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है। अपराध से जब्त संपत्तियों का उपयोग इस तरह से किया जाए तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।