हिमांशु साँगाणी गरियाबंद
गरियाबंद। आगामी नगरीय निकाय चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सूची जारी कर दी है। पार्टी ने गरियाबंद, छुरा, फिंगेश्वर, राजिम, मैनपुर और देवभोग के लिए अपने पार्षद और अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। यह सूची न केवल पार्टी की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि स्थानीय राजनीति में हलचल मचाने वाली भी साबित हो रही है।
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कौन बना भाजपा का चेहरा? वार्ड-वार फैसला
भाजपा ने हर वार्ड में उम्मीदवार चुनने के लिए गहन समीक्षा की है। इस बार पार्टी ने नए और युवा चेहरों के साथ-साथ अनुभवी नेताओं को भी जगह दी है। छुरा और फिंगेश्वर में युवाओं पर दांव खेला गया है, जबकि राजिम और मैनपुर में पुराने और भरोसेमंद चेहरों को तरजीह दी गई है।
अध्यक्ष पद पर किसका चला सिक्का?
सबसे अधिक ध्यान अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों पर है। गरियाबंद में पैरा शूट से उतारे गए नेता को तरहीज दो गई है जबकि छुरा और देवभोग में पार्टी महिला नेतृत्व को प्राथमिकता देती नजर आ रही है। यह भाजपा की रणनीति में एक बड़ा बदलाव हो सकता है।
क्या है अंदरूनी कहानी?
सूची जारी होते ही पार्टी के भीतर असंतोष की खबरें भी सामने आई हैं। कई दावेदारों के नाम कटने से नाराजगी जाहिर की जा रही है। कुछ नेता इसे “चुनावी समीकरण” का हिस्सा मानकर शांत हैं, जबकि कुछ इसे पार्टी के भीतर गुटबाजी का परिणाम बता रहे हैं।
क्या कहती है जनता?
स्थानीय स्तर पर जनता में इस सूची को लेकर चर्चा तेज हो गई है। वार्ड-वार समीकरण और उम्मीदवारों की छवि अब इस चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गई है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा की यह रणनीति अन्य दलों को मजबूती से चुनौती देने की तैयारी का हिस्सा है।
नगरीय निकाय चुनावों में इस बार का मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। क्या भाजपा के ये उम्मीदवार जनता का भरोसा जीत पाएंगे, या तस्वीर कुछ और होगी?