हिमांशु साँगाणी गरियाबंद
गरियाबंद नगर पालिका चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार के रूप में गैंद लाल सिन्हा को चुना है, जबकि भाजपा ने संघ के करीबी रिखी राम यादव पर भरोसा जताया है। दोनों ही पार्टियों के फैसले और उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि से चुनावी माहौल गरम हो गया है। पैरी टाइम्स में दो दिन पूर्व ही सूत्रों के हवाले से बता दिया था कि गेंद लाल होंगे कांग्रेस के उम्मीदवार ।
कांग्रेस प्रत्याशी गैंद लाल सिन्हा

कांग्रेस का फैसला और उम्मीदवार की पृष्ठभूमि
कांग्रेस ने गैंद लाल सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाकर राजनीतिक समीकरणों को दिलचस्प बना दिया है। सिन्हा पहले पार्षद चुनाव हार चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है। यह फैसला पार्टी के भीतर चली लंबी खींचतान और संभावित उम्मीदवारों छगन यादव, राजेश साहू, और संदीप सरकार के बीच कांटे की प्रतिस्पर्धा के बाद लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, गैंद लाल सिन्हा की सामाजिक पकड़ और जनता के बीच अच्छी छवि के कारण पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस के इस निर्णय से चुनावी मुकाबले में नया मोड़ आ गया है।
भाजपा में बदलाव और रणनीति
दूसरी ओर, भाजपा ने पहले प्रशांत मानिकपुरी को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया था। लेकिन पार्टी के भीतर भारी विरोध और कार्यकर्ताओं की नाराजगी के चलते महज 24 घंटे के भीतर संघ समर्थित रिखी राम यादव को उम्मीदवार बना दिया गया। प्रशांत मानिकपुरी पहले भी दो बार पार्षद चुनाव हार चुके थे, जिससे पार्टी को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा।
भाजपा प्रत्याशी रिखी राम यादव

रिखी राम यादव के नाम की घोषणा ने भाजपा के लिए चुनौती को और दिलचस्प बना दिया है। उनकी संघ से नजदीकी और दो दशक की सक्रिय राजनीतिक भूमिका को भाजपा अपनी ताकत के रूप में देख रही है।
देखे कांग्रेस की लिस्ट
चुनावी मुकाबले पर नजर
अब गरियाबंद में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच सीधा और कांटे का मुकाबला देखने को मिलेगा। गैंद लाल सिन्हा को जहां कांग्रेस के मतदाताओं का भरोसा जीतना है, वहीं रिखी राम यादव भाजपा की जमीनी पकड़ को और मजबूत करने के साथ विरोधियों को भी एकजुट करना है ।
कल जारी की गई भाजपा की लिस्ट
नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए यह चुनाव केवल राजनीतिक पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है, बल्कि जनता के मुद्दों और नेतृत्व की परख का भी बड़ा अवसर है। देखना होगा कि कौन इस मुकाबले में बाजी मारता है।