हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद नगरी चुनाव: बागियों का ‘आउट ऑफ सिलेबस’ सवाल, पार्टियों का बिगड़ सकता है गणित
गरियाबंद। नगरी निकाय चुनाव 2025 में नामांकन का अंतिम दिन आते-आते राजनीतिक ड्रामा चरम पर पहुंच गया। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के बागियों ने अपने-अपने अंदाज में ‘ताल’ ठोक दी है। पार्टी के फैसलों से नाराज इन नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरकर राष्ट्रीय दलों का गणित बिगाड़ने का मन बना लिया है।

कांग्रेस के पांच ‘असंतुष्ट योद्धा’
कांग्रेस के 5 कार्यकर्ता वार्ड नंबर 2, 4, 12, 14 और 15 से निर्दलीय प्रत्याशी बन गए हैं। वहीं, भाजपा के ‘पहले प्यार‘ यानी अध्यक्ष पद के दावेदार प्रशांत मानिकपुरी ने पार्टी के फैसले को नकारते हुए निर्दलीय अध्यक्ष पद के लिए फार्म ले लिया है। क्या प्रशांत मानिकपुरी का यह कदम भाजपा के लिए सिरदर्द बन सकता है, क्योंकि पहले इन्हें पार्टी ने अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया था। लेकिन 24 घंटे के भीतर ही यह फैसला पलटते हुए रिखीराम यादव को उम्मीदवार बना दिया गया।
बागियों का खेल: गणित से राजनीति तक
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन बागियों का मैदान में उतरना चुनावी नतीजों को दिलचस्प बना सकता है। कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियों का यह ‘आउट ऑफ सिलेबस’ सवाल उनके उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है।
विश्लेषण यह भी कहता है कि ये बागी अपनी ही पार्टियों का वोट बैंक काटने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। चाहे कांग्रेस के बागी हों या भाजपा के, सबने अपनी-अपनी पार्टी से गुटबाजी और टिकट काटने की शिकायतें की हैं। अब देखना यह है कि ये बागी पार्टियों को कितना नुकसान पहुंचाते हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने का यह दांव उनके लिए कितना कारगर साबित होता है।
पार्टी का गुस्सा, जनता का भरोसा?
बागियों के इस कदम से जनता के मन में भी सवाल उठ रहे हैं। क्या ये नेता जनता का भरोसा जीत पाएंगे, या केवल अपनी पार्टी का नुकसान करने तक सीमित रहेंगे? जो भी हो, गरियाबंद नगरी निकाय चुनाव 2025 अब सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि राजनीतिक ‘धोबी पछाड़’ का मैदान बनता जा रहा है।