हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद। नगरीय निकाय चुनाव 2025 आते ही नगर पालिका की तिजोरी अचानक भरने लगी है! जो राजस्व आम दिनों में एक महीने में इकट्ठा होता था, वो मात्र तीन दिनों में ही नगर पालिका के खाते में आ गया। इसकी वजह कोई आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि चुनावी बुखार है!
नामांकन से पहले ‘कर चुकता प्रमाण पत्र’ जरूरी होने के कारण उम्मीदवारों ने आनन-फानन में बकाया कर चुकता किया, और देखते ही देखते 5,39,169 रुपये की रिकॉर्ड वसूली हो गई। नगर पालिका के दफ्तर में कैश काउंटर अचानक इतना व्यस्त हो गया कि कर्मचारियों को भी यकीन नहीं हो रहा था।

जब करदाता बने चुनावी योद्धा!
आंकड़ों के मुताबिक, 50 उम्मीदवार पार्षद पद के लिए और 3 उम्मीदवार अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरे हैं। नामांकन भरने की शर्त पूरी करने के लिए सभी ने बिना किसी हील-हुज्जत के अपनी जेबें ढीली कर दीं। कुल 53 लोगों ने बकाया कर जमा किया, जिससे नगर पालिका को अप्रत्याशित राजस्व मिल गया।
‘चुनावी प्रेरणा’ बनी तो सरकारी खजाना भरता रहेगा!
अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो सरकारी खजाना भरता रहेगा, सड़कें सुधरेंगी, विकास कार्य होंगे… लेकिन अफसोस, चुनाव हर साल नहीं होते! नगर पालिका के एक कर्मचारी ने मजाकिया अंदाज में कहा—
“काश, नामांकन से पहले ‘जनसेवा प्रमाण पत्र’ लेना भी जरूरी होता, तो जनता को भी इसका फायदा मिल जाता!”
अब देखने वाली बात यह होगी कि ये उम्मीदवार कर चुकाने की तत्परता के साथ-साथ जनता की सेवा में भी उतनी ही तेजी दिखाते हैं या नहीं!