गरियाबंद अध्यक्ष पद का मुकाबला: किसके सर सजेगा ताज , तीन दशक का अनुभव या पांच साल की नई ऊर्जा ?

Photo of author

By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी

गरियाबंद चुनाव का मौसम आ चुका है और शहर की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है। इस बार अध्यक्ष पद की कुर्सी के लिए भाजपा के रिखी यादव और कांग्रेस के गैंद लाल सिन्हा आमने-सामने हैं। दोनों नेता मैदान में तो पूरे जोश के साथ हैं, लेकिन कहानी में ट्विस्ट यह है कि अनुभव और रणनीति के मामले में दोनों के बीच बड़ा अंतर है।

पिछली जीत दे रही बढ़त
पिछले चुनाव में रिखी यादव ने वार्ड नंबर 11 से जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया था कि जनता का भरोसा उन पर कायम है। उन्हें 447 मतों में 169 मत प्राप्त हुए थे इस जीत ने उनके हौसले को और मजबूत किया है। वहीं, गैंद लाल सिन्हा ने वार्ड नंबर 13 से चुनाव लड़ा था, उन्हें 430 मत में से 126 मत मिले थे जिसमें उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।

रिखी यादव: राजनीति के पुराने खिलाड़ी
रिखी यादव को राजनीति में करीब तीन दशक का अनुभव है। उनके बारे में मशहूर है कि वे हर सुबह जनता के बीच पहुंचकर उनकी समस्याएं सुनते हैं । संघ की पृष्ठभूमि होने के कारण उनकी छवि “संगठन वाले नेता” की भी है।
उनकी टीम में ऐसे युवा भी शामिल हैं, जो चुनाव प्रचार में पूरी जान लगा देते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि रिखी यादव का चुनाव प्रचार किसी छोटे-मोटे मेले से कम नहीं होता।

गैंद लाल: नई उम्मीद, कम अनुभव
दूसरी ओर, गैंद लाल सिन्हा ने राजनीति में सिर्फ 5 साल पहले कदम रखा। सामाजिक कार्यों में उनकी भागीदारी अच्छी है, लेकिन चुनावी रणनीति और अनुभव के मामले में वे कमजोर नजर आते हैं। उनकी टीम में युवा कार्यकर्ताओं की काफी कमी है, जो चुनावी माहौल में बड़ा फर्क डाल सकती है।
हालांकि, सिन्हा समाज का समर्थन उन्हें मजबूती दे सकता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ समाज का समर्थन उन्हें चुनाव जिताने के लिए काफी होगा?

यादव समाज में अब तक नही दिख रही एकजुटता , लेकिन रिखी का भरोसा कायम ।
सूत्र बताते हैं कि यादव समाज में सिन्हा समाज के जैसे अभी तक एकजुटता नही दिखाई दे रही है ऐसी चर्चा है। रिखी यादव की लोकप्रियता सभी समाज में मानी जाती है । वे राजनीति में वैसे ही रम चुके हैं, जैसे चाय में चीनी—बिना उनके राजनीति फीकी लगती है। हालांकि वोटिंग में अभी एक हफ्ते का समय है । सिन्हा समाज के जैसे यादव समाज भी संगठित हो सकता है

क्या इस बार जनता अनुभव को चुनेगी या नए चेहरे को?
जनता के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा है—क्या तीन दशक का अनुभव और मजबूत संगठन जीत का सूत्र बनेगा, या फिर गैंद लाल की नई उम्मीद बाजी पलटेगी? नतीजा जो भी हो, चुनावी मौसम में राजनीति के ये दांव-पेंच जरूर जनता का मनोरंजन करने वाले हैं

कृपया शेयर करें

अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

लगातार सही खबर सबसे पहले जानने के लिए हमारे वाट्सअप ग्रुप से जुड़े

Join Now

Join Telegram

Join Now

error: Content is protected !!