हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में गैंद लाल सिन्हा बनाम रिखी राम यादव की जंग रोचक मोड़ पर है। कांग्रेस ने उस बूथ के नेता गैंद लाल सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है, जहां से भाजपा गरियाबंद में लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा बढ़त लेने में सफल रही थी। वहीं भाजपा ने अपने आज़माए हुए नेता रिखी राम यादव को मैदान में उतारा है, जो अपने बूथ पर हर चुनाव में पार्टी को जीत दिलाते आए हैं।

बूथ नंबर 269 बनाम बूथ नंबर 267
चलिए, आंकड़ों की गणना करते हैं। रिखी राम यादव का बूथ (269) भाजपा का किला है।
विधानसभा चुनाव 2023: भाजपा को 384 वोट, कांग्रेस को सिर्फ 255 वोट। भाजपा को 129 वोट की बढ़त।
लोकसभा चुनाव 2025: भाजपा को 411 वोट, जबकि कांग्रेस को 179 वोट। भाजपा को 232 वोट की लीड।
अब बात करें गैंद लाल सिन्हा के बूथ (267) की, जो उनके लिए मुश्किल भरा साबित हुआ।
विधानसभा चुनाव 2023: कांग्रेस को 268 वोट, जबकि भाजपा को 388 वोट, यानी भाजपा को यहां से 120 वोट की बढ़त।
लोकसभा चुनाव: कांग्रेस को 193 वोट, जबकि भाजपा को 437 वोट। भाजपा को यहां से 244 वोट की लीड जो पूरे गरियाबंद के बूथ में सबसे अधिक थी ।
पिछले पार्षद चुनाव में भी फिसले गैंद लाल
पिछले नगरीय निकाय चुनाव में रिखी राम यादव अपने वार्ड क्रमांक 11 से 170 वोट लेकर पार्षद बने, जबकि गैंद लाल सिन्हा को उनके वार्ड क्रमांक 13 से सिर्फ 126 वोट मिले और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
अब बड़ा सवाल:
क्या कांग्रेस को कोई जादू की छड़ी मिल गई है, जिससे गैंद लाल सिन्हा अपने ही बूथ में कमजोर प्रदर्शन के बावजूद पूरे शहर में जीत हासिल कर सकें?
या फिर भाजपा के रिखी राम यादव अपने बूथ की पकड़ के दम पर नगर पालिका की सत्ता छीन लेंगे?
गरियाबंद के राजनीतिक विश्लेषकों की राय में यह मुकाबला सिर्फ दो नेताओं का नहीं, बल्कि बूथ की ताकत और मतदाताओं की समझदारी का है। अगर आंकड़े नहीं बदले, तो गैंद लाल सिन्हा के लिए यह चुनाव किसी पहाड़ चढ़ने जैसा साबित हो सकता है।
आखिरकार, देखना यह होगा कि यह चुनाव बूथ की सच्चाई का आईना बनेगा या कांग्रेस का चमत्कारिक सपना हकीकत में बदलेगा।