हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद गरियाबंद में नगर पालिका चुनाव धीरे-धीरे कांग्रेस के लिए ‘इमोशनल ड्रामा’ और भाजपा के लिए ‘मौन जश्न’ बनता जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने इस बार चुनाव को ऐसा ‘महाभारत’ बना दिया है, जिसमें तीन गुट अपनी-अपनी सेना के साथ ‘राजसिंहासन’ की ओर कूच कर रहे हैं। उधर भाजपा वाले शांति से तमाशा देख रहे हैं और मन ही मन कह रहे हैं— ‘लड़ो, हम वहीं हैं!’

गैंद लाल सिन्हा – मैदान में अकेले योद्धा ?
कांग्रेस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार गैंद लाल सिन्हा, अमितेश शुक्ल के मिशन ‘हार के बाद जीत’ का हिस्सा हैं। । 2023 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब यह चुनाव उनके लिए ‘पुनर्जन्म’ जैसा है। हालांकि इस जन्म में वर्तमान विधायक जनक ध्रुव को ‘राजनीतिक वनवास’ दे दिया गया है। अब वे संगठन से दूर अकेले दम पर गैंद लाल को चुनाव जितवाकर विधानसभा में अपना खोया आत्मविश्वास ढूँढने में लगे है
गुटों का ‘सिंहासन युद्ध’
पहला गुट: जो गैंद लाल सिन्हा को जिताने की कोशिश कर रहा है।
- दूसरा गुट: जो सिर्फ खुद के चुनाव प्रचार में मग्न है।
- तीसरा गुट: जो मानो चुनाव में हिस्सा ही नहीं ले रहा!
भाजपा का ‘डोर-टू-डोर मंत्र’
उधर भाजपा पूरी तरह ‘फील्डिंग’ सेट कर चुकी है। डोर-टू-डोर कैंपेन के साथ भाजपा ने हर मोहल्ले में ‘सरप्राइज विजिट’ कर जनता का दिल जीत लिया है। उनके उम्मीदवार हर इलाके में ‘पहचान बना चुके हैं,’ जबकि गैंद लाल सिन्हा अब भी कुछ इलाकों में खोजे जा रहे हैं।
सामाजिक सभा या चुनाव? कार्यकर्ता भी कंफ्यूज
कांग्रेस पार्टी के एक नाराज कार्यकर्ता ने Pairi Times 24×7 को बताया— “यह चुनाव है या सामाजिक सम्मेलन? पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया गया है और कुछ चुनिंदा चेहरे प्रचार में दिख रहे हैं।”
Pairi Times 24×7 की भविष्यवाणी:
अगर कांग्रेस ने जल्दी ही अपने ‘तीनों गुटों को एक मंच पर नहीं लाया,’ तो चुनाव परिणाम ‘राजनीतिक त्रासदी’ बन सकता है। भाजपा को बस अब ‘हैप्पी एंडिंग’ का इंतजार है। कांग्रेस को चाहिए कि चुनाव के बाद ‘ गुटों की सुलह पार्टी ’ रखे, जहां सबको आपस में पहचान कराई जाए— वरना अगले चुनाव में कांग्रेस का नारा होगा, ‘पहचान कौन?’
आखिरी सवाल:
‘गैंद लाल सिन्हा जीतेंगे, गुट हारेंगे या भाजपा मुस्कुराएगी?’