हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद नगर पालिका चुनाव में वोटों की खींचतान के बीच फूटे बाजार बम ने खलबली मचा दी है।सियासी गलियारों में चर्चा गरम है कि “अगर अमिताभ बच्चन जीत गए, तो बाजार की सफाई तय है!” अब सफाई बाजार में फैले कचरे की होगी या कारोबारियों की यह तो आने वाला समय बतायेगा।फूटे इस बम से फुटकर व्यापारी डरे-सहमे हैं, कहीं अमिताभ जीत गए तो ,दो जून की रोटी देने वाली दुकान कही यादों का स्मारक न बन जाए।

अब इस कहानी में ट्विस्ट ये है कि चुनाव लड़ रहे एक नेताजी “बाजार के अपने आदमी” का एजेंडा सुनाकर कारोबारियों की नींद उड़ा दी है। मकान-दुकान पर नजर गड़ाए ये प्रत्याशी, जो खुद एक बड़ा व्यापारी भी हैं, चुनाव जीतते ही बाजार से बेदखल करने की कार्यवाही न करे। नेताजी बाजार के व्यापारी को डराने सिगूफ़ा छोड़ा था,पर अब यह किसी उड़ते हुए तीर लेने के किस्से की तरह बन गया है।
“विकास के नाम पर दस्तक या दुकानों पर ताला?”
चुनावी गलियारों में कानाफूसी है कि व्यापारी से नेता बने प्रत्याशी की ताज पोसी हुई तो..
बाजार में कई कच्चे पक्के निर्माणों की वैधता पर सवाल उठाए जा सकते हैं। चुनाव जीतते ही “सुधार अभियान” के नाम पर कई दुकानों पर सरकारी शिकंजा कस सकता है। कारोबारी वर्ग का कहना है, “विकास का मतलब दुकानें उजाड़ना नहीं होता, साहब।”
“साहब जीतेंगे तो हलचल तय!”
इधर, बाजार के अनुभवी चुनावी पंडितों का मानना है कि, चुनावी जीत के बाद ये बाजार फुटकर व्यापारी परिषद की जगह साफ-सुथरी परियोजना में तब्दील हो सकता है। चाय की दुकानों पर गपशप तेज है— “अभी तो प्रचार सुन लो, मगर दुकान का सामान धीरे-धीरे पैक कर लो!”
क्या यह सिर्फ अफवाह या चेतावनी है?
वक्त बताएगा कि यह बाजार में बदलाव की शुरुआत है या सिर्फ चुनावी शोर। फिलहाल व्यापारी गण दुकानें कम और नतीजों की चर्चा ज्यादा कर रहे हैं।
जो भी हो, चुनाव के बाद बाजार में “साहब की सुनामी” का इंतजार जरूर होगा।