हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद नगर पालिका चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी चुनावी सरगर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही। भाजपा ने नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया, वार्डों में भी बहुमत हासिल किया, लेकिन असली कहानी यहां खत्म नहीं होती। इस चुनाव ने कांग्रेस के भीतर गुटबाजी को फिर से उजागर कर दिया, तो वहीं भाजपा में अब उपाध्यक्ष पद की दौड़ तेज हो गई है।

भाजपा बनाम गैंद लाल सिन्हा – कांग्रेस के लिए संकेत या संयोग?
नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रिखी राम यादव ने कांग्रेस उम्मीदवार गैंद लाल सिन्हा को 167 मतों से हराया। पहली नजर में यह भाजपा की सीधी जीत लग सकती है, लेकिन अगर गौर करें तो यह मुकाबला “भाजपा बनाम गैंद लाल सिन्हा” ज्यादा नजर आया, बजाय “भाजपा बनाम कांग्रेस” के। पार्टी की अंदरूनी कलह, स्थानीय नेतृत्व की अनदेखी और टिकट वितरण को लेकर असंतोष ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं।
अमितेश की “एकला चलो” नीति पर सवाल
सोशल मीडिया पर युवा नेता एहसान मेमन ने कांग्रेस के अंदर गुटबाजी पर खुलकर सवाल उठाए। उन्होंने पूर्व विधायक अमितेश शुक्ल की “एकला चलो” नीति को हार का कारण बताया। दिलचस्प बात यह है कि गैंद लाल सिन्हा को पार्टी से ज्यादा जनता का समर्थन मिला, जिससे यह साफ होता है कि कांग्रेस की हार संगठन की कमजोरी से ज्यादा आंतरिक असहमति की वजह से हुई।
दो मजबूत उम्मीदवार, दो निर्दलीय जीत – कांग्रेस की रणनीति पर सवाल
नगर पालिका चुनाव में दो वार्ड ऐसे थे जहां कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी – वार्ड नंबर 2 से निरंजन प्रधान और वार्ड नंबर 12 से पूनाराम यादव दोनों ही पार्टी के प्राथमिक सदस्य थे टिकट की मांग भी की थी लेकिन पार्टी ने इन दोनों मजबूत नेताओं को टिकट देने की बजाय नए चेहरों पर दांव खेला और परिणामस्वरूप इन दोनों ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की। इस फैसले ने कांग्रेस की रणनीति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया – क्या पार्टी खुद ही अपने वफादार कार्यकर्ताओं को दूर कर रही है?

अब भाजपा में नई हलचल – उपाध्यक्ष पद की कुर्सी पर टिकी निगाहें
भाजपा की जीत के बाद अब नगर पालिका में उपाध्यक्ष पद की रेस शुरू हो चुकी है। 9 भाजपा पार्षदों के बीच यह पद प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। सबसे मजबूत दावेदार वार्ड नंबर 11 से रिकॉर्ड 375 मतों से जीतने वाले आसिफ मेमन माने जा रहे हैं। आसिफ मेमन इस चुनाव में स्टार प्रचारक भी थे उन्हें कई पार्षदों ने अपने वार्ड में प्रचार के लिए भी बुलाया था वे पिछली बार भी उपाध्यक्ष बनते-बनते रह गए थे, और इस बार अध्यक्ष पद के दावेदार भी थे उनकी दावेदारी और मजबूत नजर आ रही है। हालांकि, पूर्व उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोनटेके भी इस रेस में शामिल हैं, लेकिन आसिफ मेमन की लोकप्रियता और संगठन में पकड़ को देखते हुए उनका चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है। भाजपा के भीतर यह चुनाव भी दिलचस्प होगा, क्योंकि कई पार्षद अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए गुटबाजी में जुट सकते हैं।
पैरी टाइम्स ने कांग्रेस में गुटबाजी को लेकर पहले की थी भविष्यवाणी
9 फरवरी को पैरी टाइम्स ने कांग्रेस बनाम कांग्रेस बनाम कांग्रेस V/S बीजेपी के आर्टिकल में कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि तीनों गुटों को अगर एक मंच पर नहीं लाया गया तो चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए राजनीतिक त्रासदी बन सकता है और आखिर हुआ भी वहीं कांग्रेस ने में नगर पालिका चुनाव में जमकर गुटबाजी चली और आखिरकार पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा ।