हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद | राजिम कुंभ कल्प में सोमवार को जब नागा साधुओं की पेशवाई निकली, तो पूरा क्षेत्र भक्ति और रोमांच के अद्भुत संगम में डूब गया। भभूत रमाए, जटाओं से शोभायमान, और हाथों में शस्त्र लहराते नागा संन्यासियों का यह अलौकिक दृश्य श्रद्धालुओं के लिए किसी आस्था महोत्सव से कम नहीं था।

बैंडबाजे और डमरू की धुन के बीच नागा बाबाओं ने शस्त्र कला का प्रदर्शन किया, जिसमें तलवार, त्रिशूल और भाले की चपलता देखते ही बन रही थी। इन सन्यासियों का हर करतब आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर था, जिसने श्रद्धालुओं के बीच रोमांच पैदा कर दिया। सड़क के किनारे कतारबद्ध खड़े भक्तजन इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
राजिम कुंभ धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव
माघ पूर्णिमा से शुरू हुआ राजिम कुंभ 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलेगा। इस दौरान दत्तात्रेय मंदिर में विविध धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए, जिनमें साधु-संतों ने अपने आराध्य देव को भोग अर्पित किया।
राजिम कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन भर नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का भी जीवंत प्रतीक है। सदियों से इस पवित्र स्थल पर देशभर से साधु-संत, तीर्थयात्री और श्रद्धालु जुटते आए हैं। यहाँ आस्था और परंपरा का ऐसा संगम देखने को मिलता है, जो किसी भी भक्त के हृदय को भक्ति रस से सराबोर कर देता है।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, आस्था का ज्वार
पेशवाई देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई इस पावन क्षण का साक्षी बनने के लिए आतुर दिखा। नागा साधुओं की ऊर्जा, डमरू की गूंज और गूंजते जयघोषों ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक शक्ति से भर दिया।
राजिम कुंभ में आगे संत प्रवचन, शाही स्नान और भव्य धार्मिक अनुष्ठान होने हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक आनंद और धार्मिक आस्था की नई ऊंचाइयों को छूने का अवसर प्रदान करेंगे।
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