हिमांशु साँगाणी
कबीरधाम। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के परसवारा पंचायत में हुए शपथ ग्रहण समारोह ने महिला सशक्तिकरण की नई परिभाषा लिख दी है। यहां 6 महिला पंचों की जगह उनके पतियों ने शपथ ले ली, जिससे पंचायत चुनाव में लापरवाही और पारंपरिक पितृसत्ता का अनोखा मेल देखने को मिला।

आखिर हुआ क्या?
पंडरिया ब्लॉक की परसवारा ग्राम पंचायत में नवनिर्वाचित पंचों और सरपंच का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था। लेकिन जब नाम पुकारे गए, तो महिला पंचों की जगह उनके पति मंच पर पहुंचे और शपथ ग्रहण कर ली। पंचायत सचिव की यह बड़ी लापरवाही सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिससे महिला सशक्तिकरण को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
प्रशासन ने लिया संज्ञान
वीडियो वायरल होते ही जिला पंचायत सीईओ अजय कुमार त्रिपाठी ने मामले को संज्ञान में लिया और जनपद सीईओ को जांच के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जांच के बाद नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
पति-पंच मॉडल: महिला आरक्षण के नाम पर नया खेल!
यह पहली बार नहीं है जब महिला आरक्षण का सीधा फायदा पुरुषों को मिलता दिखा है। इससे पहले भी कई पंचायतों में ऐसा हो चुका है, जहां महिलाओं को चुनाव तो लड़वा दिया जाता है, लेकिन असल में सत्ता उनके पतियों के हाथ में रहती है।
क्या कहता है कानून?
भारत में पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिए 33% से 50% तक आरक्षण है, लेकिन कई जगह यह सिर्फ ‘नाम मात्र’ बनकर रह जाता है। कानून के तहत कोई भी निर्वाचित पंच अपनी जगह किसी और को शपथ दिलाने का अधिकार नहीं रखता, फिर भी परंपराओं के नाम पर यह नियम ताक पर रख दिया गया।
अब सवाल यह है:
✅ क्या यह महिला सशक्तिकरण है या पति-सशक्तिकरण?
✅ क्या पंचायत सचिव की यह लापरवाही जानबूझकर थी?
✅ क्या प्रशासन इस पर सख्त कार्रवाई करेगा या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?:
निष्कर्ष
परसवारा पंचायत का यह मामला साबित करता है कि महिला सशक्तिकरण के नाम पर अब भी पारंपरिक पितृसत्ता हावी है। जब महिलाएं चुनाव जीत सकती हैं, तो शपथ ग्रहण में क्यों नहीं शामिल हो सकतीं?