हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद जिले में नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में अदालत ने सख्त फैसला सुनाया है। फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय ने आरोपी विजय दुबे को 20 साल की सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने पीड़िता को पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का भी आदेश दिया है ताकि उसका पुनर्वास किया जा सके।

घटना का विवरण
यह घटना 19 अप्रैल 2023 की है जब नाबालिग बच्ची किराने का सामान खरीदने गई थी। इसी दौरान आरोपी विजय दुबे ने उसे अकेला पाकर जबरदस्ती अपने घर में खींच लिया और नाबालिग दुष्कर्म किया। डरी-सहमी बच्ची किसी तरह घर पहुंची और अपनी मां को घटना के बारे में बताया, जिसके बाद थाना राजिम में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 376 भादवि, धारा छह पॉक्सो एक्ट और एससी एसटी एक्ट की धारा तीन दो पांच के तहत मामला दर्ज किया।
विशेष लोक अभियोजक एच एन त्रिवेदी के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने अदालत में कुल 20 गवाहों की गवाही पेश की जिससे यह साबित हो गया कि आरोपी ने नाबालिग से दुष्कर्म किया था और वह दोषी है।
अपर सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनीकर ने इस अपराध को समाज की सुरक्षा और नैतिकता के लिए गंभीर खतरा मानते हुए कड़ी सजा सुनाई।
अदालत का सख्त संदेश
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि नाबालिग से दुष्कर्म केवल एक बच्ची पर हमला नहीं बल्कि पूरे समाज की सुरक्षा पर प्रहार है।
कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर को निर्देश दिया कि पीड़िता को पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जाए ताकि वह अपने जीवन को नए सिरे से शुरू कर सके।
न्याय का मजबूत संदेश
गरियाबंद में नाबालिग से दुष्कर्म का यह फैसला एक मिसाल बन गया है। यह साफ हो गया है कि अब ऐसे अपराधियों को कानून से बचने का कोई मौका नहीं मिलेगा और हर पीड़िता को न्याय मिलेगा।गरियाबंद की फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस फैसले ने समाज को यह संदेश दिया है कि दुष्कर्म के दोषियों को अब कोई राहत नहीं मिलेगी और पीड़िता को न्याय मिलेगा। यह फैसला उन लोगों के लिए भी एक सबक है जो महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध करने की सोचते हैं।