महासमुंद में किसान आत्महत्या या व्यवस्थागत हत्या?—किसान मुआवजा और बिजली विभाग पर कार्रवाई की मांग ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी

गरियाबंद [महासमुंद] छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं, और अब महासमुंद जिले के सिंघनपुर गांव में एक और किसान ने कर्ज और बिजली समस्या से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। किसान संगठनों ने इसे “व्यवस्थागत हत्या” करार देते हुए किसान मुआवजा और बिजली विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं। छत्तीसगढ़ किसान संकट के इस मामले में प्रशासन से ₹50 लाख मुआवजा और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

⚡ लो वोल्टेज और कर्ज बना मौत की वजह?

मृतक किसान पुरण निषाद (55) के पास कुल 5 एकड़ कृषि भूमि थी, जिसमें वह धान की खेती करता था। लेकिन, बिजली की लो वोल्टेज समस्या और सिंचाई के लिए जरूरी पानी की कमी के चलते छत्तीसगढ़ में किसान संकट गहराता जा रहा है। किसान के पास ग्रामीण बैंक से ₹1.55 लाख का KCC लोन और ₹2 लाख का साहूकारी कर्ज था। परिवार का कहना है कि बिजली विभाग की लापरवाही के कारण खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही थी, जिससे धान की फसल सूख गई। कर्ज और फसल खराब होने के तनाव में आकर 10 मार्च की रात किसान ने अपने खेत में फांसी लगा ली।

किसान संगठनों ने उठाई आवाज!

बुधवार को भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) और अन्य किसान संगठनों का प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मिला और सरकार से किसान आत्महत्या के मामले में किसान के परिवार मुआवजा देने की मांग की।

किसान नेता तेजराम विद्रोही ने कहा


“यह सिर्फ महासमुंद का मामला नहीं है, पूरे छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या हो रही है। सरकार को जल्द से जल्द बिजली विभाग की लापरवाही दूर करनी चाहिए और किसानों के कर्ज माफ करने चाहिए।”

प्रशासन से 3 प्रमुख मांगें:

पीड़ित किसान परिवार को ₹50 लाख मुआवजा दिया जाए।
बिजली विभाग के दोषी अधिकारियों पर हत्या के लिए प्रेरित करने का प्रकरण दर्ज हो।
क्षेत्र के सभी किसानों को पर्याप्त बिजली और कर्ज राहत दी जाए।

आर्थिक सहायता और अपील

किसान संगठनों ने ₹20,000 की त्वरित आर्थिक सहायता दी और जिला पंचायत सदस्य जागेश्वर ‘जुगनू’ चंद्राकर ने सभी जिला पंचायत सदस्यों से अपनी एक माह की मानदेय राशि पीड़ित परिवार को देने की अपील की।

❓ अब बड़ा सवाल:

क्या छत्तीसगढ़ सरकार इस किसान परिवार को न्याय देगी, या फिर यह मामला भी एक और अनसुनी किसान आत्महत्या बनकर रह जाएगा?

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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