हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद नगर पालिका के नए अध्यक्ष रिखी यादव ने पदभार ग्रहण की परंपरा को नया रूप दिया। सत्ता संभालने से पहले उन्होंने संघर्षशील महिला गनेशिया बाई को सम्मान दिया, जिससे राजनीति में इंसानियत की मिसाल बनी। आज नगर पालिका अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठने से पहले सपत्नीक शीतला मंदिर और फिर उसके बाद नगर पालिका में माथा टेका ।
जब कुर्सी पर बैठने से पहले संघर्ष के साथी को साथ लेकर पहुँचे – गरियाबंद में राजनीति का नया चेहरा बने रिखी यादव
गरियाबंद नगर पालिका अध्यक्ष रिखी यादव ने आज पदभार ग्रहण के दौरान राजनीति में नई मिसाल कायम की। सत्ता की कुर्सी पर बैठने से पहले उन्होंने संघर्षशील गनेशिया बाई निर्मलकर को अपने साथ बिठाकर इंसानियत का संदेश दिया।

संघर्ष की साथी को पहला सम्मान
जब रिखी यादव पहली बार नगर पालिका पहुंचे, तो उनके साथ कोई बड़ा नेता या उद्योगपति नहीं था, बल्कि उनके साथ थीं गनेशिया बाई। यह वही महिला हैं, जो रोज़ सब्जी बेचती हैं और चुनाव प्रचार के दौरान रिखी यादव की जीत की प्रार्थना करती थीं।
“सत्ता नहीं, संस्कार पहले” – इस सोच के साथ रिखी यादव ने उन्हें नगर पालिका के अंदर ले जाकर अपनी प्राथमिकता को स्पष्ट कर दिया।

सुबह 6 बजे शुरू हुई एक नई परंपरा
सुबह 6 बजे, जब पूरा शहर सो रहा था, रिखी यादव अपनी पत्नी के साथ ग्राम देवी शीतला माता के दर्शन करने पहुंचे। इसके बाद वे सीधे नगर पालिका गए और गनेशिया बाई को अपने साथ लेकर अंदर प्रवेश किया।
राजनीति में इंसानियत जरूरी है” – नगर पालिका में भगवा और भावनाओं का संगम
नगर पालिका परिसर आज सिर्फ भगवा झंडों से नहीं, बल्कि भावनाओं से भी रंगा हुआ था। चारों तरफ वेदों के मंत्र गूंज रहे थे, कार्यालय को गंगाजल और गौमूत्र से शुद्ध किया गया। कुर्सी की दिशा को वास्तु के अनुसार पश्चिम से पूर्व किया गया, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। लेकिन असली बदलाव कुर्सी की दिशा से नहीं, बल्कि नेता की सोच से आया। इसके अलावा रिखी यादव ने अपने टेबल भागवत गीता,रामचरितमानस और कई महान व्यक्तियों की जीवनी रखी थी उन्होंने कहा कि वे इन्हीं से प्रेरणा लेकर आज यहां तक पहुंचे है और आगे भी इन्हीं के बताए मार्ग पर चलेंगे ।
” संघर्ष करने वालों को सम्मान देंगे– पहले दिन ही बड़ा संदेश
रिखी यादव ने नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने से पहले यह स्पष्ट कर दिया कि वे सबको साथ लेकर चलेंगे। गनेशिया बाई को नगर पालिका लाना सिर्फ एक इमोशनल स्टंट नहीं था, बल्कि यह संदेश था कि असली नायक वे हैं, जो ज़मीन से जुड़े रहते हैं।
यह राजनीति नहीं, यह इंसानियत का असली चेहरा है”
गरियाबंद में जो हुआ, वह सिर्फ नगर पालिका अध्यक्ष के कार्यकाल की शुरुआत नहीं थी—बल्कि राजनीति में एक नई सोच की शुरुआत थी। नेता वही जो जनता की तकलीफ समझे, नेता वही जो अपने संघर्ष के दिनों को याद रखे।
रिखी यादव ने दिखा दिया कि राजनीति सिर्फ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि सेवा का संकल्प भी हो सकता है।