हिमांशु साँगाणी
गरियाबंद, चिंगरा पगार वॉटरफॉल जहां बर्फ सी ठंडी हवा, पहाड़ियों से गिरती जलधारा और हरियाली की चादर ओढ़े एक ऐसा स्थान जहां रोमांच भी है, शांति भी और अब कला भी— जो इस मानसून सीजन में गरियाबंद का सबसे चर्चित पर्यटन स्थल बनकर उभरा है।

चिंगरा पगार वॉटरफॉल हर साल बारिश के मौसम में यह झरना अपने पूरे यौवन पर होता है और हजारों प्रकृति प्रेमी और ट्रैकिंग के शौकीन यहां पहुंचते हैं। इस बार यह जगह और भी खास बन गई है, क्योंकि वन विभाग और जिला प्रशासन ने मिलकर यहां पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई शानदार पहल की हैं।

चिंगरा पगार वॉटरफॉल को परमानेंट चालू करने की तैयारी भी
राजस्थान के कारीगरों द्वारा चट्टानों पर उकेरी गई कलात्मक मूर्तियां अब इस स्थल की नयी पहचान बन चुकी हैं। ये मूर्तियां छत्तीसगढ़ की संस्कृति, वन्य जीवन और लोककला को जीवंत करती हैं, और पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनी हुई हैं । इसके अलावा वन विभाग चिंगरा पगार वॉटरफॉल को परमानेंट चालू करने की तैयारी भी कर रहा है अगर वन विभाग की प्लानिंग सक्सेस हो गई तो चिंगारा पगार वॉटरफॉल की खूबसूरती को पर्यटक 12 महीने दीदार कर सकेंगे ।
।वन विभाग ने इन मूर्तियों की सुरक्षा को लेकर सख्त रुख अपनाया है। विभाग की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई व्यक्ति इन मूर्तियों से छेड़छाड़ करता है या उन्हें किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह स्थान सिर्फ प्रकृति प्रेमियों का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।
रास्तों को साफ और सुरक्षित बनाया गया है, ट्रैकिंग मार्ग को सुव्यवस्थित किया गया है और प्रशासन द्वारा नियमित निगरानी भी की जा रही है।तो अगर आप एडवेंचर, प्रकृति और लोककला से भरपूर किसी स्थल की तलाश में हैं, तो इस बारिश जरूर जाएं ।
चिंगरा पगार वॉटरफॉल – गरियाबंद का उभरता हुआ हीरा
और भी खबरें देखे …..इंदौर से बाइक पर निकले थे ओडिशा कमाने..