हे डॉक्टर… फोटो पहले या मरीज? गरियाबंद जिला अस्पताल में वायरल तस्वीर पर मचा बवाल, बिनकर बोले बच्चा ठिठुर गया, मैडम फोटो खिंचवाती रही ।

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By Himanshu Sangani

सोनोग्राफी महीने में दो बार, डिलीवरी रेफर रोज, लेकिन फोटोशूट डेली!

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

हे डॉक्टर फोटो पहले या मरीज गरियाबंद जिला अस्पताल में डिलीवरी के बाद वायरल हुई सीएमएचओ की फोटो पर बाल रोग विशेषज्ञ ने उठाए सवाल। डॉक्टर बिनकर बोले– फोटोशूट के चक्कर में नवजात को हुआ हाइपोथर्मिया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट Pairi Times 24×7 पर।


गरियाबंद जिला अस्पताल में अब इलाज से ज्यादा ज़रूरी है कैमरा एंगल। ऐसा हम नहीं जिला अस्पताल के ही शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बिनकर बोल रहे है 15 मई की रात डिलीवरी के बाद पैदा हुए बच्चे ने रोना शुरू नहीं किया था, लेकिन सीएमएचओ डॉ. गार्गी यदु पाल ने उसे गोद में उठाकर मुस्कराना ज़रूर शुरू कर दिया — और क्लिक! वायरल फोटो के बाद अब अस्पताल के गलियारे ‘फोटोशूट गेट’ में तब्दील हो चुके हैं।

हे डॉक्टर… फोटो पहले या मरीज

हे डॉक्टर… फोटो पहले या मरीज

हे डॉक्टर… फोटो पहले या मरीज बिनकर बोले मैडम का पसीना और बिना सेनेटाइज किए हाथ से बच्चे को उठाना गलत

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र बिनकर ने इस ‘फोटोप्रसव’ को स्टंट बताते हुए आरोप लगाया कि सीएमएचओ मैडम न तो हाथ धोई थीं, न गाउन पहना था, बस पुराने पसीने वाले कपड़ों में नवजात को उठाकर स्टेटस अपडेट कर दिया! नतीजा – बच्चा हाइपोथर्मिया का शिकार हो गया, लेकिन मैडम फोटो खिंचवाती रही । डॉ. बिनकर का दावा है कि बच्चा प्रीमेच्योर नहीं था, बल्कि पूरा 2.5 किलो का बालक है, लेकिन सोशल मीडिया पर सहानुभूति बटोरने के लिए उसे कमजोर बताया गया।

CMHO का जवाब , डॉक्टर दो घंटे बाद आए ।


सीएमएचओ डॉ. गार्गी यदु पाल ने पलटवार करते हुए कहा कि वे खुद गाइनेकोलॉजिस्ट हैं, और निरीक्षण के लिए वहां पहुंची थीं। बच्चा रो नहीं रहा था, तो उन्होंने उसे गोद में ले लिया। बाकी डॉक्टर साहब दो घंटे बाद आए, अब अपनी देरी छुपाने फोटो को विलेन बना रहे हैं। सुबह भी मैंने उन्हें एक मामले के लिए डांट लगाई थी

देखे क्या बोले डॉक्टर राजेंद्र बिनकर

अब असली सवाल आपातकालीन ऑपरेशन व्यवस्था सुधरेगी कब?


सूत्रों की माने तो अस्पताल में सोनोग्राफी महीने में केवल दो दिन – 9 और 24 तारीख को होती है। बाकी दिन सोनोग्राफी मशीन धूल फांकती है और गर्भवती महिलाएं रायपुर के चक्कर काटती हैं। ग्रामीणों का सवाल है – जब सीएमएचओ मैडम खुद गाइनेकोलॉजिस्ट हैं, तो सोनोग्राफी और डिलीवरी सिस्टम को नियमित क्यों नहीं करवतीं? या फिर कैमरे के सामने ही ऑपरेशन होता है?

अस्पताल में फोटो तो ठीक, मरीज को भी कभी देख लीजिए


फिलहाल गरियाबंद जिला अस्पताल में इलाज हो या न हो, लेकिन सोशल मीडिया पर ‘प्रसव कला में प्रशासनिक चमक’ ज़रूर दिखाई दे रही है। और बच्चे? उनकी किस्मत में शायद बस वायरल होना ही लिखा है।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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