5 घंटे की थाली, 8 करोड़ की दलाली ये बोरे बासी था या बजट भोज? बासी खाने का बहाना था, सरकारी खजाना उड़ाना था!

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

5 घंटे की थाली, 8 करोड़ की दलाली ये बोरे बासी था या बजट भोज? RTI खुलासे से हड़कंप – छत्तीसगढ़ के बोरे बासी तिहार में 5 घंटे में 8 करोड़ उड़ाए गए! पानी, छाछ, गुब्बारे और तंबू में लाखों का घोटाला। बासी में स्वाद कम, घोटाले का दम ज्यादा!


गरियाबंद छत्तीसगढ़ की सियासत में ‘बासी’ की गर्मी फिर उबल पड़ी है! कहा गया था कि 1 मई 2023 को मजदूरों के सम्मान में बोरे बासी तिहार मनाया जाएगा, लेकिन RTI से जो थाली खुली है, उसने पूरे प्रदेश को चौंका दिया है। सिर्फ 5 घंटे के कार्यक्रम में 8 करोड़ रुपए का ‘राजकीय स्वाद’ परोसा गया। अब स्वाद की नहीं, खर्च की सुर्खियों में है। मजदूर दिवस पर छत्तीसगढ़ की अस्मिता को सेलिब्रेट करने के नाम पर 8 करोड़ रुपये की ‘रस-भरी’ थाली परोस दी गई।

5 घंटे की थाली, 8 करोड़ की दलाली

5 घंटे की थाली, 8 करोड़ की दलाली

5 घंटे की थाली, 8 करोड़ की दलाली ,अब जनता पूछ रही है ये तिहार था या खजाना उड़ाने का बहाना?

तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में आयोजित बोरे बासी दिवस अब RTI के दस्तावेज़ों में ध्वनि विस्तारक यंत्र की तरह गूंज रहा है। एक दिन, पांच घंटे, लेकिन खर्च—पूरा पांच सितारा भोज का बजट!


थाली की परतें जब खुलीं, तो मिला ये खास ‘मेन्यू’

1500 रु. की VIP थाली – जो शायद चांदी के बर्तन में, चंद्रमा की रोशनी में परोसी गई

5 रु. की पानी की बोतल, 18 में खरीदी गई – ‘बोतलबाज़ी’ का नया नाम

4 डोम लगे, पर 6 का भुगतान – दो अदृश्य तंबू ब्रह्मांड से आए थे शायद

1.1 करोड़ सिर्फ टेंट – क्या तंबू चांदी के थे या मंत्रीजी के सपनों से बने थे?

12 लाख की छाछ – इतनी छाछ तो गोधन न्याय योजना में भी नहीं बहाई गई

11 लाख साउंड सिस्टम, 15 लाख मोमेंटो, 70 हजार के गुब्बारे – उड़ते पैसे, उड़ता मज़ाक

9.65 लाख में मज़दूर लाए गए – मज़दूर कम, VIP ट्रैवलर्स ज़्यादा लग रहे थे


बीजेपी बोली ये बासी नहीं,भ्रष्टाचार का बासीटेक था!

गौरीशंकर श्रीवास ने कहा

बासी तो बहाना था, असल खेल था कमिशन भोज का। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ी अस्मिता की थाली में गोलमाल परोसा!


कांग्रेस ने पल्ला झाड़ा बोला, BJP को बासी हज़म नहीं हो रही

प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने कहा

सब नियम से, टेंडर से हुआ। RTI की इंटरप्रिटेशन गलत की जा रही है। बीजेपी को मजदूर सम्मान से चिढ़ है। यही वजह है कि अब बदनाम करने की साजिश की जा रही है।


अब जनता पूछ रही है:

क्यों न इस बासी को अब CBI की रसोई में पकाया जाए?
क्योंकि स्वाद की थाली में जो दलाली मिली है, वो मज़दूरों की भूख से कहीं बड़ी लगती है!

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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