अब अस्पताल नहीं, अफसरों की पाठशाला है कलेक्टर भगवान सिंह उइके की अस्पताल पर अद्भुत ऑपरेशन डेली ड्यूटी ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

अब अस्पताल नहीं, अफसरों की पाठशाला गरियाबंद कलेक्टर भगवान सिंह उइके ने जिला अस्पताल की लापरवाहियों पर ब्रेक लगाने के लिए 7 अफसरों को 7 दिन की ड्यूटी पर लगा दिया है। अब अस्पताल का इलाज डॉक्टर नहीं, अधिकारी करेंगे रिपोर्ट पढ़ें।


गरियाबंद जिला अस्पताल में डाक्टरों की अनुपस्थित की शिकायत और मरीजों को होने वाली समस्या को लेकर गरियाबंद कलेक्टर ने संज्ञान में लेकर एक आदेश जारी किया है अब डॉक्टर नहीं, अफसर टेबल देखेंगे। मरीज नहीं पूछेंगे कि डॉक्टर आए क्या? बल्कि अफसर पूछेंगे, डॉक्टर अभी तक आए क्यों नहीं? कलेक्टर भगवान सिंह उइके ने अब अस्पताल की ‘दवाइयों’ का इलाज अफसरों से शुरू करवा दिया है। मतलब ये कि अस्पताल अब अस्पताल नहीं, बल्कि सात अफसरों की वॉचिंग वार्ड बन गया है। हर दिन एक नया अफसर, नई आंखों से देखेगा कि अस्पताल जिन्दा है या बस ‘कागजों में स्वस्थ’ है।


अब अस्पताल नहीं, अफसरों की पाठशाला है

अब अस्पताल नहीं, अफसरों की पाठशाला है

अब अस्पताल नहीं, अफसरों की पाठशाला अब अफसर ही डॉक्टर हैं!

कलेक्टर उइके साहब ने तय कर दिया कि अब हर दिन एक अधिकारी अस्पताल में पल्स रेट लेगा। डॉक्टरों की उपस्थिति, दवाइयों की उपलब्धता, बायोमेट्रिक हाजिरी, पीने का पानी से लेकर शौचालय की सफाई तक सबकी जांच होगी। अब मरीज की हालत से ज़्यादा, अस्पताल की हालत पर रिपोर्ट बनेगी।


हफ्ते भर की अस्पताल पहरेदारी अफसरों की ड्यूटी ऐसे तय

सोमवार – घासीराम मरकाम, जिन्हें अब अस्पताल का ‘हफ्ते की शुरुआत वाला डॉक्टर’ कहा जा सकता है। अगर सोमवार सुस्त रहा, तो हफ्ता भी बीमार समझिए।

मंगलवार – प्रकाश सिंह राजपूत, जिनकी निगरानी में डॉक्टरों की ‘टाइम की पर्ची’ बनना तय है। देर करने वालों की अब रिपोर्ट देर नहीं होगी।

बुधवार – अरविन्द पांडेय, जो अस्पताल के ‘मिडवीक चेकअप’ विशेषज्ञ होंगे। दवा है या बहाना, सब पकड़ में आएगा।

गुरुवार – नवीन भगत, जिन्हें अब अस्पताल की ‘सफाई वाली नजर’ से जाना जाएगा। मरीज ठीक हों न हों, दीवारें चमकनी चाहिए।

शुक्रवार – ऋषा ठाकुर, जो वीकेंड से पहले ‘संभावित लापरवाहियों की आंतरिक जांच’ कर डालेंगे। डॉक्टरों की छुट्टी की तैयारी अब कैमरे में कैद होगी।

शनिवार – रामसिंह सोरी, जिनकी नजरें अब ऑपरेशन वार्ड से वॉशरूम तक पहुंच चुकी हैं। अस्पताल का कोई कोना अब नो एंट्री नहीं।

रविवार – मयंक अग्रवाल, जिन्होंने सिखा दिया कि ‘सरकारी सिस्टम में संडे का मतलब आराम नहीं, निगरानी होता है।’ अब रविवार को भी घंटी बजेगी, पर जांच की।


क्या बदल जाएगा कुछ?

डॉक्टरों के देर से आने पर अब अधिकारियों की बनी रहेगी नजर , अब जनता से नहीं अधिकारियों से पड़ेगा पाला शाम के बाद लगभग नदारद रहने वाले डॉक्टरों पर अब रहेगी अधिकारियों की विशेष नजर ।


ये पहल क्यों ज़रूरी थी?

गरियाबंद को जिला बने लगभग 13 साल हो चुका है उसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में जिला काफी पिछड़ा हुआ है जिला अस्पताल में अधिकतर डॉक्टर या तो उपलब्ध नहीं रहते या फिर मौजूद ही नहीं रहते खास कर रात के वक्त गरियाबंद कलेक्टर के इस आदेश के बाद इसमें जरूर बदलाव देखने को मिलेगा । कलेक्टर बोले हमने अफसरों को अस्पताल भेजा है ताकि डॉक्टरों को पता चले कि अब कोई सो रहा है तो सपने में भी निगरानी हो रही है।

अब हर अफसर बोलेगा ओपीडी ओके है?

गरियाबंद की जनता अब उम्मीद कर रही है कि दवाइयों से पहले अगर अफसर पहुंच जाएं, तो शायद इलाज शुरू होने से पहले व्यवस्था ही ठीक हो जाए।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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