हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद रेत खदान में पत्रकारों पर हमला के पितईबंद में रेत खदान की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों पर जानलेवा हमला, 3 किमी तक दौड़कर खेत में छिपे पत्रकार, जिले भर के पत्रकार राजिम में जुटे। पढ़ें पूरी खबर Pairi Times 24×7 पर।
गरियाबंद छत्तीसगढ़ में अब पत्रकारिता करना रेत खनन से भी ज्यादा जोखिमभरा है! राजिम के पितईबंद गांव में पत्रकार रेत खदान की सच्चाई निकालने पहुंचे थे, लेकिन रेत माफिया ने ऐसा स्वागत किया कि लोकतंत्र की नींव तक हिल गई।

गरियाबंद रेत खदान में पत्रकारों पर हमला
गरियाबंद रेत खदान में पत्रकारों पर हमला 3 किलोमीटर दौड़े खेत में छुपे तब जाकर बची जान
शेख इमरान, थानेश्वर साहू, नेमीचंद बंजारे, लक्ष्मीशंकर और जितेंद्र सिन्हा ये पांच नाम अब सिर्फ पत्रकार नहीं, बल्कि भागते हुए गवाह बन चुके हैं। इन पर हमला हुआ, कैमरा, मोबाइल, गाड़ी सब तोड़ा गया। धमकी मिली रिपोर्टिंग छोड़ो या जान से हाथ धो लो।
और फिर शुरू हुआ असली एक्शन सीक्वेंस
पत्रकारों ने तीन किलोमीटर तक जान बचाकर दौड़ लगाई। जंगल-पगडंडी पार करते हुए खेतों में जाकर 1 घंटे तक छिपे रहे। यही “ग्राउंड कवर” उनकी जान बचा गया वरना अगली सुबह की हेडलाइन कुछ और होती।
घटना की सूचना मिलते ही SDM साहब पूरे लाव-लश्कर के साथ पहुंचे, लेकिन तब तक रेत माफिया के निशान भी उड़ चुके थे। पुलिस जांच में जुटी है और आरोपियों की पहचान जारी है यानी नतीजा वही ढाक के तीन पात।

अब मामला गरमाया
जैसे ही खबर फैली, जिले भर के पत्रकार राजिम में इकट्ठा होने लगे। अब यह सिर्फ कवरेज नहीं, कलम की क्रांति बन चुकी है। सवाल वही लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचलने वाले आखिर कब बेनकाब होंगे?
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