तिनका भी न टूटे हमारे मेहमान का साइबेरियाई पक्षियों की खातिर गांव ने रचा सुरक्षा का ऐसा किला कि मोबाइल टॉवर भी नहीं लगने दिया ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

तिनका भी न टूटे हमारे मेहमान का साइबेरियाई पक्षियों की खातिर गांव वालों की विशेष व्यवस्था साइबेरियाई पक्षी Asian Openbill Stork हर साल लचकेरा गांव आते हैं। गांववाले उनके स्वागत और सुरक्षा के लिए मोबाइल टावर तक नहीं लगने देते।

गरियाबंद साइबेरियाई पक्षी लचकेरा गरियाबंद के लिए हर साल हजारों किलोमीटर की उड़ान भरते हैं, और जब ये पक्षी गांव में पहुंचते हैं, तो लचकेरा के हर पेड़ की टहनी एक नया जीवन पा लेती है। ये कोई आम पक्षी नहीं Asian Openbill Stork हैं, जो चीन, नेपाल, बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार जैसे कई देशों को पार कर छत्तीसगढ़ के इस छोटे से गांव में विश्राम और प्रजनन के लिए आते हैं।

तिनका भी न टूटे हमारे मेहमान का साइबेरियाई पक्षियों की खातिर

तिनका भी न टूटे हमारे मेहमान का साइबेरियाई पक्षियों की खातिर

तिनका भी न टूटे हमारे मेहमान का साइबेरियाई पक्षियों की खातिर गांव की अनोखी मेहमानवाजी योजना

यहां मेहमानों के लिए पंखों वाला स्वागत होता है। लचकेरा गांववालों ने इन पक्षियों के लिए एक अनोखा नियम बना रखा है —

यदि कोई इन्हें नुकसान पहुँचाए, तो 10 हजार जुर्माना।

और इसकी जानकारी देने वाले को एक हजार इनाम।

यह कानून किसी दस्तावेज़ में नहीं, गांव वालों के दिल में लिखा है।

इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए नहीं लगाया मोबाइल टॉवर

गांव में आज तक कोई मोबाइल टॉवर नहीं लगा। तीन बार प्रस्ताव आए लेकिन तीनों बार ग्रामीणों ने इनकार कर दिया — क्योंकि टावर का रेडिएशन पक्षियों के अंडों को नुकसान पहुंचा सकता है। साइबेरियाई पक्षी लचकेरा गरियाबंद के दिल में बसते हैं — यह बात गांववालों ने बार-बार साबित की है।

खेती का संकेत बन गए हैं ये विदेशी मेहमान

इन पक्षियों का आना गांव में खेती शुरू होने का प्राकृतिक अलार्म होता है। जब ये आते हैं, किसान बीज बोने लगते हैं। दिवाली तक पक्षी अंडे देते हैं, बच्चे निकलते हैं और फिर वापस उड़ जाते हैं।

गांव की तैयारी पहले से होती है प्लानिंग ऐसी होती गांववालों की पक्षी रक्षा रणनीति

हर पेड़ पर नजर, ताकि कोई डाली न कटे।

खेतों में ज़हरीले कीटनाशकों का प्रयोग सीमित।

बच्चों को स्कूल में पढ़ाया जाता है ये सिर्फ परिंदे नहीं, परिवार हैं।

युवाओं की पक्षी सुरक्षा समिति हर साल एक्टिव मोड में।

भावनाओं की झलक क्या कहते है ग्रामीण

ललित साहू हम इनके लिए पेड़ भी नहीं काटते, ये हमारे लिए सगे जैसे हैं।लक्ष्य साहू इनके आते ही खेती का वक्त शुरू होता है।
राजेश सिन्हा मोबाइल टावर नहीं लगाया, लेकिन पक्षियों की उड़ान हमारे गांव को छूती है।

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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