हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
30 जून को खत्म नहीं होगा राशन का टाइम छत्तीसगढ़ सरकार ने जून-अगस्त 2025 के राशन वितरण की समय-सीमा को 30 जून से बढ़ाकर 20 जुलाई करने की मांग केंद्र से की है। जानिए क्यों आई ये ज़रूरत और किसे होगा फायदा।
गरियाबंद छत्तीसगढ़ में राशन लेने वालों के चेहरे फिर से खिले नज़र आ रहे हैं! जो लोग सोच रहे थे कि 30 जून के बाद अगर राशन नहीं मिला तो चूल्हा ठंडा पड़ेगा उनके लिए सरकार ने डेट एक्सटेंशन का ‘टॉनिक भेजा है केंद्र के दरवाज़े।
30 जून को खत्म नहीं होगा राशन का टाइम सरकार ने केंद्र से कहा थोड़ा और मोहलत दे दो
राज्य के खाद्य मंत्री दयालदास बघेल के इशारे पर खाद्य विभाग की सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले ने केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखी है – जिसमें गुज़ारिश की गई है कि
➡️ तीन महीने का राशन देने की आखिरी तारीख 30 जून से बढ़ाकर 20 जुलाई कर दी जाए।
➡️ साथ ही, राशन भंडारण की सीमा 23 जून तक बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है।

30 जून को खत्म नहीं होगा राशन का टाइम
मशीनें अधूरी पत्र में बताया गया कि समस्या बड़ी वितरण धीमा
56.78 लाख NFSA और 24.44 लाख राज्य पूल के कार्डधारकों को जून से अगस्त का राशन एकसाथ देना है।
इसके लिए 3.41 करोड़ बायोमैट्रिक ट्रांजेक्शन जरूरी हैं जो किसी रिकॉर्ड बनाने जैसी कवायद है।
ऊपर से 7000 ई-पॉस मशीनों का अपग्रेड भी बीच रास्ते में अटका है।
और रही-सही कसर मई की बारिश ने पूरी कर दी गोदाम से दुकान तक सब भीग गया!
लाइन में लगो… लेकिन टेंशन मत लो
अगर केंद्र सरकार हाँ कह देती है, तो उपभोक्ताओं को 20 जुलाई तक राशन लेने का बोनस टाइम मिलेगा। यानी जो अब तक छुट्टी नहीं निकाल पाए, मशीन में अंगूठा फिट नहीं हो पाया, या सिर्फ दुकान की भीड़ देखकर लौट गए — उनके लिए दोबारा मौका है।
ध्यान रहे ये सिर्फ मांग है, मंजूरी बाकी है!
जब तक केंद्र सरकार मुहर नहीं लगाती, तब तक ये सिर्फ एक सरकारी मेल का स्क्रीनशॉट है। लेकिन अगर मंजूरी मिलती है, तो यह उन 80 लाख परिवारों के लिए बड़ी राहत होगी जो गर्मी, भीड़ और सिस्टम से थक चुके हैं।
देखे भगदड़ का वीडियो ।
गरियाबंद में मची भगदड़ बनी सबक
बढ़ती भीड़ और तय तारीख का दबाव कितना खतरनाक हो सकता है, इसका ताजा उदाहरण गरियाबंद के वार्ड क्रमांक 3 की राशन दुकान में देखा गया। वहाँ रविवार को भीषण भगदड़ मच गई जब सैकड़ों लोग समय सीमा से पहले राशन पाने के लिए उमड़ पड़े। विक्रेता दुकान के भीतर बंद थे, और उपभोक्ता बाहर मुख्य गेट पर लटके रहे। इस अव्यवस्था ने प्रशासन को भी हिला दिया और राज्य सरकार को मजबूर किया कि वह समय सीमा बढ़ाने की सिफारिश करे।
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