हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
स्कूल या झाड़ूशाला गरियाबंद के स्कूलों में सफाई कर्मियों की हड़ताल से बच्चे किताब छोड़ करचिया झाड़ू लगाने को मजबूर। क्या शिक्षा व्यवस्था ऐसे बनेगी मजबूत? पढ़ें पूरी खबर Pairi Times 24×7 पर।
गरियाबंद, शिक्षा का मंदिर अब झाड़ूशाला बन चुका है! विकासखण्ड देवभोग के करचिया सरकारी स्कूलों में बच्चे आजकल गणित, विज्ञान या हिंदी की किताब नहीं, बल्कि झाड़ू लेकर सफाई प्रैक्टिकल कर रहे हैं। वजह? सफाई कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल। जी हाँ, अंशकालीन सफाई कर्मचारियों ने 17 जून 2025 से बस्ते फेंक, बैनर थाम लिया है पूर्णकालीन करो, कलेक्टर दर पर वेतन दो, वरना स्कूलों की सफाई भी बच्चे करेंगे!

स्कूल या झाड़ूशाला
स्कूल या झाड़ूशाला सफाईकर्मी बोले हमें पूरा हक चाहिए, नहीं तो झाड़ू भी बच्चों के जिम्मे ?
छत्तीसगढ़ अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी कल्याण संघ रायपुर के आह्वान पर हड़ताल कर रहे कर्मचारियों ने साफ कह दिया है जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, स्कूलों में नन्हें हाथों को ही झाड़ू उठाना होगा। नौनिहाल अब पढ़ाई छोड़कर सफाई कर रहे हैं और उनका भविष्य, स्कूल की धूल में ही चमकने की उम्मीद लगाए बैठा है।

वीडियो हुआ वायरल, जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे
स्कूल में बच्चों के झाड़ू लगाते वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। पर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा विभाग ने जैसे कानों में रुई डाल ली है। पूछो तो कहते हैं – हड़ताल का मामला है, हल निकलेगा। तब तक नौनिहालों का भविष्य झाड़ू के भरोसे!
सफाई कर्मियों की मुख्य मांग क्या?
अंशकालीन कर्मचारियों ने साफ-साफ कहा है कि उन्हें पूर्णकालीन किया जाए और कलेक्टर दर पर वेतन मिले। इसी के लिए उन्होंने अनिश्चितकालीन काम बंद कर दिया है। इसी वजह से स्कूलों की साफ-सफाई पूरी तरह ठप हो चुकी है।
अभिभावक बोले: ये शिक्षा व्यवस्था या मजाक?
बच्चों के माता-पिता का गुस्सा फूट पड़ा है। एक अभिभावक ने कहा, बच्चे पढ़ाई सीखने स्कूल जा रहे हैं या झाड़ू चलाना सीखने? सरकार को जल्द कदम उठाना चाहिए वरना भविष्य गंदगी में दब जाएगा।