हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
अभनपुर स्कूल रील- बाजी विवाद सरकारी स्कूल में योग दिवस के बाद फिर फूहड़ गानों पर छात्रों द्वारा रील बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने शिक्षा व्यवस्था पर उठाए गंभीर सवाल। डीईओ ने जांच के दिए आदेश। पढ़ें पैरी टाइम्स 24×7 पर पूरी खबर।
गरियाबंद अभी कुछ ही दिन पहले योग दिवस के मौके पर रायपुर के अभनपुर क्षेत्र के स्कूल में जीना है तो पीना है जैसे गाने पर बच्चों को योग कराते हुए वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचाया था। उस मामले की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि अभनपुर के परसदा (सोंठ) स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से एक और वीडियो सामने आ गया, जिसमें स्कूल परिसर में छात्र-छात्राएं फूहड़ रोमांटिक गानों पर रील बनाते नजर आ रहे हैं। इस नए वीडियो ने एक बार फिर शैक्षिक संस्थानों की अनुशासन व्यवस्था और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अभनपुर स्कूल रील- बाजी विवाद
अभनपुर स्कूल रील- बाजी विवाद बार-बार दोहराए जा रहे गलती से उठे सवाल
लोगों का कहना है कि योग दिवस वाले मामले में शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन ने सीख नहीं ली। क्या अभनपुर के स्कूल प्रशासन की निगरानी इतनी कमजोर है कि छुट्टी वाले दिन भी स्कूल परिसर रील स्टूडियो में तब्दील हो जाता है?
स्कूल प्रबंधन ने बताया कि स्कूल में प्लंबिंग का काम चल रहा था और इसी दौरान कुछ युवक-युवतियों ने इंस्टाग्राम रील बना ली। स्कूल समिति ने वीडियो बनाने वाले छात्रों को बुलाकर माफीनामा लिखवाया और सख्त चेतावनी देकर छोड़ दिया। पर बड़ा सवाल ये है कि जब हाल ही में इसी इलाके में विवादित योग वीडियो वायरल हुआ था, तब स्कूलों में अनुशासन के लिए सख्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए?

डीईओ का बयान, जांच के बाद होगी कार्रवाई
मामले की जानकारी होने पर जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. विजय खंडेलवाल ने कहा कि स्कूल में अश्लील गानों पर रील बनाना पूरी तरह गलत है। कोई अनुमति नहीं थी। वीडियो देखने के बाद जांच के आदेश दिए गए हैं और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।
शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
लगातार सामने आ रहे ऐसे मामले ये साफ करते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चों का नैतिक और शैक्षिक विकास दांव पर लग गया है। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से बच्चों के मन में शिक्षा के प्रति गंभीरता खत्म होती जा रही है और स्कूल परिसर का माहौल भी खराब होता है।
कौन है जिम्मेदार?
बार-बार दोहराई जा रही ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन?
क्या शिक्षा विभाग सिर्फ कार्रवाई का राग अलापता रहेगा?
स्कूलों को शिक्षा का मंदिर बनाने के लिए कब उठेंगे ठोस कदम?
लोगों की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर शिक्षा विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग अब भी नहीं चेते तो ऐसे ही स्कूल परिसर रील स्टूडियो बनते रहेंगे। सख्त नियम बनाकर स्कूलों में अनुशासन को मजबूत किया जाए ताकि छात्र-छात्राएं फिर से शिक्षा की ओर लौटें और सोशल मीडिया का नशा स्कूलों से बाहर ।
यह भी पढ़ें….स्कूल है या झाड़ूसाला गरियाबंद में नौनिहालों के हाथ में किताब झाड़ू ।