हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
20 साल की उपेक्षा खत्म छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में NHM संविदा कर्मचारियों के 20 साल पुराने मुद्दे पर 3 बड़े सवाल खड़े किए जाएंगे। क्या इस बार मिलेगा स्थायी समाधान?
गरियाबंद छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था के असली हीरो – एनएचएम संविदा कर्मचारियों की आवाज एक बार फिर विधानसभा में गूंजने वाली है! 14 से 18 जुलाई तक चलने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में कसडोल विधायक संदीप साहू सवालों की बौछार करने की तैयारी में हैं। 20 साल से कम वेतन, कोई ग्रेड-पे नहीं और छुट्टियों तक का हक नहीं… ये कर्मचारी कब तक बर्दाश्त करेंगे? अब सबकी निगाहें मानसून सत्र पर टिक गई हैं।

20 साल की उपेक्षा खत्म
20 साल की उपेक्षा खत्म क्या अब निकलेगा कोई हल?
छत्तीसगढ़ के आयुष्मान केंद्रों से लेकर मेडिकल कॉलेज तक करीब 16 हजार एनएचएम कर्मचारी दिन-रात जनता की सेवा में जुटे हैं। इन्होंने राज्य को नेशनल लेवल पर कई हेल्थ अवॉर्ड दिलाए, लेकिन खुद के लिए अब तक न तो स्थायी नौकरी का तोहफा मिला, न ही सम्मानजनक वेतन। कर्मचारी कह रहे हैं ।सरकार ने वादे किए, तारीखें दीं, समितियाँ बनाईं मगर हमारी जिंदगी वही ढाक के तीन पात!
विधायक संदीप साहू के सवाल से सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी!
कसडोल विधायक ने अतातर्किक प्रश्न क्रमांक 522 में जो मुद्दे उठाए हैं, उससे सरकार के माथे पर शिकन आना तय है:
27% वेतन वृद्धि का क्या हुआ?
जुलाई 2023 में 37,000 संविदा कर्मचारियों के लिए बढ़ोतरी की घोषणा हुई थी, जिसमें NHM के 16,000 कर्मी शामिल थे। अब तक कितने कर्मचारियों को इसका फायदा मिला? IPHS पब्लिक हेल्थ कैडर में शामिल करने का आदेश क्यों लटका?
केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद भी छत्तीसगढ़ ने क्या फैसला लिया?नियमितीकरण रिपोर्ट 5 साल से धूल क्यों फांक रही है?
2020 में बनी समिति की रिपोर्ट पर 23 जून 2025 तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
इन सवालों का सामना स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को करना होगा, जिनके जवाब पर कर्मचारियों की उम्मीदें टिकी हैं।
उम्मीदें कायम, धैर्य टूटने के कगार पर
एनएचएम कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे प्रदेश सलाहकार हेमंत सिन्हा, प्रांताध्यक्ष डॉ. अमित मिरी और प्रवक्ता पूरन दास का कहना है सरकार को अब दिखानी होगी संवेदनशीलता, वरना आंदोलन का विकल्प भी खुला है। छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ ने स्पष्ट किया है कि इस बार विधानसभा से ठोस समाधान की उम्मीद है। कर्मचारियों का कहना है । विधानसभा में उठी आवाज अगर सिर्फ बहस में ही दब गई, तो फिर सड़कों पर उतरना मजबूरी होगी।
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