हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
प्रशासनिक अनदेखी गरियाबंद में 80 साल के बुजुर्ग भूख हड़ताल पर हैं। बेटे ने घर छीना, प्रशासन चुप। बीपी-शुगर से पीड़ित बुजुर्ग की हालत बिगड़ी, फिर भी जारी है संघर्ष।
गरियाबंद अपने ही घर से बेघर कर दिए गए 80 वर्षीय बुजुर्ग अहमद बेग न्याय
की आस में बीते 24 घंटे से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। गरियाबंद जिला मुख्यालय के गांधी मैदान में अपने परिवार सहित डटे हुए हैं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी और न्याय न मिलने की पीड़ा
अब उनकी जिंदगी पर भारी पड़ने लगी है। बीपी और शुगर से पीड़ित बुजुर्ग को भूखे पेट दवा लेने से घबराहट, चक्कर और कमजोरी महसूस हो रही है। हालत बिगड़ती जा रही है, लेकिन फिर भी उन्होंने न्याय मिलने तक भूख हड़ताल जारी रखने की जिद ठान ली है।

प्रशासनिक अनदेखी
प्रशासनिक अनदेखी बेटे ने घर छीना, प्रशासन ने नज़रें फेर ली, अब क्या मौत ही नोटिस बनवाएगी
जिस उम्र में लोगों को पूजा-पाठ और पोते खिलाने चाहिए, उस उम्र में अहमद बेग गांधी मैदान पर तिरपाल के नीचे, भूखे बैठे हैं और जिला प्रशासन शायद सोच रहा है कि फाइल तो कल देखेंगे ।
मामले की जड़
वीओ वन – अहमद बेग का आरोप है कि उनके बड़े बेटे ने उन्हें मकान से बाहर निकाल दिया और अब वह घर खाली नहीं कर रहा है। मजबूरन उन्हें जिला मुख्यालय पहुंचकर विभिन्न शासकीय कार्यालयों के सामने भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा।
बुजुर्ग की पीड़ा
बुढ़ापे में जब बेटे से सहारा मिलना चाहिए, तब उसी ने सिर से छत छीन ली। प्रशासन की तरफ से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई, जिससे बुजुर्ग की तकलीफ और गहरी हो गई है।
अहमद बेग, पीड़ित बुजुर्ग (80 वर्ष)
अब जान भी चली जाए तो शायद सुनवाई हो। बेटा घर में है, मैं भूखा सड़क पर। क्या यही है इंसाफ? अब सवाल ये है कि क्या गरियाबंद प्रशासन को किसी बुजुर्ग की हालत बिगड़ने के बाद ही न्याय दिखाई देगा? मकान विवाद, पारिवारिक दरारें और प्रशासनिक अनदेखी अब आम हो चुकी हैं, लेकिन भूख हड़ताल का ये दृश्य लोकतंत्र पर तमाचा है।
क्या अब जिला प्रशासन जागेगा या फिर अगला आदेश शोक संदेश होगा?