दुर्ग में ननों की गिरफ्तारी ने पकड़ा तूल, जाने सेशन कोर्ट ने क्यों मामला NIA कोर्ट को सौंपा , सोशल मीडिया पर बवाल ।

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By Himanshu Sangani

हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद

दुर्ग में ननों की गिरफ्तारी ने पकड़ा तूल छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर ननों की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से लेकर सोशल मीडिया तक बवाल मचा है। मामला अब बिलासपुर NIA कोर्ट को सौंपा गया है, जहां मानव तस्करी के आरोपों के तहत होगी सुनवाई।

गरियाबंद छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से दो ननों की गिरफ्तारी का मामला अब राज्य की सरहदें लांघकर राष्ट्रीय बहस बन चुका है। पहले स्थानीय कोर्ट और फिर सेशन कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। अब मामला मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोपों के चलते बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट को सौंपा गया है। कुछ देर पहले कोर्ट ने इस मामले को लेकर आदेश सुनाया है ।

दुर्ग में ननों की गिरफ्तारी

दुर्ग में ननों की गिरफ्तारी

दुर्ग में ननों की गिरफ्तारी ने पकड़ा तूल जाने क्या है पूरा मामला?

25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर सिस्टर प्रीति मैरी (45) और सिस्टर वंदना फ्रांसिस (50) को तीन किशोरियों के साथ पकड़ा गया। आरोप है कि नन उन्हें नौकरी के बहाने आगरा ले जा रही थीं, जबकि असल में यह मामला जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी से जुड़ा बताया जा रहा है।

कोर्ट ने खारिज की जमानत

लोअर कोर्ट के बाद सेशन कोर्ट के जज अनीश दुबे (FTSC) ने भी साफ किया कि यह प्रकरण हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं आता, क्योंकि यह मानव तस्करी का मामला है। सुनवाई का अधिकार केवल NIA कोर्ट को है। अब पीड़िता के वकील राजकुमार तिवारी ने बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट में याचिका लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। तब तक दोनों नन जेल में ही रहेंगी।

सोशल मीडिया पर बवाल

NunArrest, #DurgConversionCase, और #JusticeForNuns जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं।

वायरल वीडियो में देखा गया कि बजरंग दल के कार्यकर्ता पुलिस कार्रवाई से पहले ही मौके पर पहुंच गए थे कैथोलिक चर्च, CBCI और Syro-Malabar चर्च ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया और गिरफ्तारी को भीड़ के दबाव में की गई कार्रवाई कहा। वहीं दूसरी ओर बजरंग दल ने इसे मामले को

राजनीति भी गर्माई

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और राहुल गांधी ने इसे मॉब जस्टिस बताया। दूसरी ओर, केरल बीजेपी नेता और चर्च प्रतिनिधियों ने छत्तीसगढ़ सरकार से मुलाकात कर ननों की रिहाई की मांग की।

पुलिस को निर्देश

सेशन कोर्ट ने थाना प्रभारी को निर्देश दिया है कि वे इस मामले की पूरी जानकारी केंद्रीय जांच एजेंसी NIA को भेजें ताकि आगे की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सके।

क्या ये सिर्फ धर्मांतरण नहीं, तस्करी भी थी?

FIR में धारा 370 (IPC 2023) के तहत केस दर्ज किया गया है, जो ह्यूमन ट्रैफिकिंग की गंभीर श्रेणी में आता है। अदालत ने इस आधार पर इसे NIA कोर्ट भेजा, क्योंकि यह अब केंद्र सरकार की अधीनस्थ एजेंसी के दायरे में आता है।

संदेह क्या है?

आदिवासी इलाकों से नाबालिग लड़कियों को नौकरी के बहाने बाहर ले जाना और वहां धर्मांतरण या मज़दूरी कराना यह एक लंबे समय से चर्चित मॉड्यूल बताया जा रहा है। बजरंग दल और अन्य संगठनों का आरोप है कि धार्मिक संगठनों की आड़ में यह सुनियोजित तस्करी हो रही है।

एक ओर पीड़िता के परिवार इसे स्वेच्छा से नौकरी के लिए जाना बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया और चर्च इसे धार्मिक निशाना बता रहे हैं। अब नजरें टिकी हैं बिलासपुर की NIA कोर्ट पर, जो तय करेगी क्या ये सच में मानव तस्करी थी या साजिश का हिस्सा?

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अधिमान्य पत्रकार गरियाबंद

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