हिमांशु साँगाणी पैरी टाइम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
प्राइवेट स्कूल फीस नियंत्रण छत्तीसगढ़ बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की फीस पर लगाम कसने वाले कानून को वैध ठहराया। अब राज्य सरकार तय कर सकेगी निजी स्कूलों की फीस, कोर्ट ने स्कूल एसोसिएशन की याचिका की बजा दी घंटी।
गरियाबंद बिलासपुर से आई ब्रेकिंग खबर में शिक्षा जगत में भूचाल ला दिया है। अब प्राइवेट स्कूलों के फीस के खेल पर ताला लगाने जा रही है सरकार और ताले की चाबी अब कोर्ट ने भी सरकार को सौंप दी है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि राज्य सरकार को निजी स्कूलों की फीस तय करने का पूरा अधिकार है। मतलब अब स्कूल मनमाफिक फीस नहीं बना सकेंगे मैथ्स की क्लास में पांच हजार और स्पोर्ट्स डे के नाम पर एक्स्ट्रा बिल जैसे टोटके अब नहीं चलेंगे ।

प्राइवेट स्कूल फीस नियंत्रण छत्तीसगढ़
प्राइवेट स्कूल फीस नियंत्रण छत्तीसगढ़ कोर्ट की क्लास एसोसिएशन की याचिका हुई फेल
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सोचा था कि याचिका डालकर सरकार की फीस तय करने वाली स्कीम को फेल कर देंगे, लेकिन कोर्ट ने उनकी कॉपी चेक की और कहा गलत उत्तर बैठ जाइए साल 2020 में बना गैर सरकारी विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम और उससे जुड़े नियम अब पूरी तरह वैध करार दिए गए हैं। इसका मतलब, अब शिक्षा की दुकानदारी पर थोड़ी लगाम लगना तय है।
शिक्षा नहीं व्यापार जनता बोली सही समय पर आई कॉपी चेकिंग
अभिभावकों के लिए ये फैसला किसी वार्षिक परीक्षा में टॉप करने जैसा है। सालों से जो माता-पिता बच्चों की फीस भरने के लिए ‘पर्सनल लोन’ तक लेने लगे थे, अब उन्हें थोड़ी राहत मिल सकती है। अब स्कूलों को बताना होगा — फीस क्यों इतनी है, और उसमें कितनी पढ़ाई और कितनी ‘लाइब्रेरी फीस’ का बहाना है।
फीस में अब होगी नैतिक शिक्षा की घुसपैठ
इस फैसले से एक बात तो तय है अब स्कूलों को भी नैतिक शिक्षा की किताब खोलनी पड़ेगी। शिक्षा के नाम पर दुकान चलाने वालों को अब नियमों की कक्षा में बैठना होगा। सरकार की अगली परीक्षा है इस कानून को जमीन पर लागू करना। देखते हैं इस बार कौन पास होता है और कौन सप्लीमेंट्री में जाता है।
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