हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
10 साल से ठिकाना ढूंढ रही मालगांव की आंगनबाड़ी गरियाबंद के मालगांव में आंगनबाड़ी 10 साल से स्थायी भवन का इंतजार कर रही है। बच्चे कभी मंदिर, कभी घर और अब धुएं-गंदगी से भरे कमरे में पढ़ने को मजबूर हैं। जानिए पूरी कहानी पैरी टाईम्स पर ।
गरियाबंद जिला मुख्यालय से लगा नेशनल हाईवे-130 सी के किनारे बसा ग्राम मालगांव वार्ड नंबर-7 ऐसा गांव जहां आंगनबाड़ी खुद बेघर है। पिछले 10 सालों से बच्चे कभी मंदिर के आंगन में, कभी किसी ग्रामीण के घर में, तो कभी टीन शेड के नीचे पढ़ाई करते-करते अब माहिर हो चुके हैं। फिलहाल यह आंगनबाड़ी एक कमरे में चल रही है, जहां बच्चों को पढ़ाई से ज्यादा धुएं और गंदगी से जूझने का कोर्स मिल रहा है।

10 साल से ठिकाना ढूंढ रही मालगांव की आंगनबाड़ी
10 साल से ठिकाना ढूंढ रही मालगांव की आंगनबाड़ी 35 बच्चे, एक कमरा और धुएं का फ्री पैकेज
गांव के जगमोहन नेताम ने अपने छोटे से कमरे में 35 बच्चों को एडजस्ट करने की कोशिश की है। लेकिन उसी कमरे में लकड़ी का चूल्हा जलता है, जिससे धुएं की मुफ्त आपूर्ति होती रहती है। बच्चों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हालत किसी गैस चैंबर जैसी हो जाती है। ऊपर से बगल में भैंस का तबेला और गंदगी का नॉन-स्टॉप शो।
बरसात में छत टपके, धूप में धुआं झेले
बरसात के मौसम में छत टपकने और जीव-जंतुओं के डर से हालात और खराब हो जाते हैं। बच्चों के लिए शौचालय की सुविधा नहीं है, लिहाजा उन्हें घर भेज दिया जाता है। कई बार तो घर गए बच्चे वापस लौटने का नाम ही नहीं लेते। मतलब शिक्षा से ज्यादा स्कूल बंक करने की आदत यहां मुफ्त में सीख रहे हैं।
प्रशासन की नींद, ग्रामीणों का दर्द
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिलाधिकारी अशोक पांडे के मुताबिक, जिले में कुल 151 आंगनबाड़ी भवनों की जरूरत है। इनमें से 91 जर्जर हालत में हैं और 60 की स्वीकृति अब तक अटकी हुई है। उन्होंने कहा कि मालगांव के भवन को प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन प्राथमिकता कब एक्शन में बदलेगी, यह सवाल जस का तस है।
जनता से लेकर जनप्रतिनिधि तक मांग करके परेशान
गांव के सरपंच लखेंद्र ध्रुव ने तंज कसते हुए कहा कि हम सालों से प्रशासन को समस्या बता रहे हैं, लेकिन बच्चे अब भी ऐसे भवन में बैठने को मजबूर हैं। वहीं उप सरपंच अब्दुल रहीम ने याद दिलाया कि आंगनबाड़ी कभी गांव के भवन में, कभी मंदिर में और अब 5 साल से नेताम जी के घर में चल रही है।
फैक्ट बॉक्स
- 151 आंगनबाड़ी भवनों की जरूरत जिले में
- 91 भवन जर्जर हालत में
- 60 भवन की स्वीकृति अटकी
- 10 साल से मालगांव स्थायी भवन का इंतजार
- 35 बच्चे छोटे से कमरे में धुआं-गंदगी झेलते हुए पढ़ने को मजबूर
पोर्टेबल शिक्षा का मॉडल बना
मालगांव की आंगनबाड़ी आज भी पोर्टेबल शिक्षा मॉडल पर चल रही है। बच्चे धुएं और गंदगी में पढ़कर शायद यही सीख रहे हैं कि अगर शिक्षा का भवन नहीं मिले, तो सहनशीलता का पक्का भवन खड़ा कर लो।
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