हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद जिला अस्पताल गार्ड द्वारा महिला मरीज को इंजेक्शन लगाने के मामले में महिला गार्ड की नौकरी गई, डॉक्टर और नर्स पर केवल नोटिस। तीन सदस्यीय जांच दल बना, प्रशासन पर उठे सवाल।
गरियाबंद जिला अस्पताल में मंगलवार को मरीज को महिला गार्ड द्वारा इंजेक्शन लगाने का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और इस मुद्दे को सबसे पहले पैरी टाइम्स ने प्रमुखता से उठाया था । इसके बाद इस घटना को लेकर प्रशासन में हड़कंप मच गया था

गरियाबंद जिला अस्पताल गार्ड
गरियाबंद जिला अस्पताल गार्ड पर कार्यवाही डॉक्टर और नर्स को नोटिस का ड्रामा
वहीं अब महिला मरीज को महिला गार्ड द्वारा इंजेक्शन लगाने का मामला अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। कलेक्टर द्वारा सीएमएचओ और सिविल सर्जन को नोटिस जारी करने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की लेकिन हमेशा की तरह बलि का बकरा बना दिया छोटे कर्मचारी को ही ।
तीन सदस्यीय जांच दल 5 दिन में सौंपेंगे अपने ही साथियों की जांच रिपोर्ट ?
जानकारी के अनुसार, महिला गार्ड को तुरंत नौकरी से हटा दिया गया। वहीं ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और दो नर्सों जिन्होंने वहां मौजूद पेशेंटके सामने कहा था कि उसे इंजेक्शन लगाने की प्रैक्टिस है । उन को अस्पताल प्रबंधन ने केवल नोटिस थमा दिया गया है। इतना ही नहीं, तीन सदस्यीय जांच दल का गठन कर दिया गया है, जो पांच दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा । क्या रिपोर्ट को लेकर भी सवाल उठेंगे क्योंकि रिपोर्ट उनके साथी ही बना कर देंगे ?
पैरी टाइम्स का सवाल यही बलि का बकरा हमेशा छोटे कर्मचारियों को ही बनाना कितना जायज ?
स्थानीय लोग सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं कि जब गार्ड को नौकरी से हटाने में मिनटों का समय नहीं लगा, तो डॉक्टर और नर्सों पर सीधे कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जवाब मिला अरे, जांच दल बना दिया है न ।बअसल में यह मामला अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की उसी पुरानी स्टाइल को उजागर कर रहा है जहां छोटे कर्मचारी तुरंत हटाए जाते हैं और बड़े अधिकारियों पर केवल नोटिस और जांच का तमगा लटकाकर मामला ठंडा कर दिया जाता है।
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