हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद फास्ट ट्रैक कोर्ट फैसला ने नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी संतराम देवदास को आजीवन कारावास शेष प्राकृतिक जीवन काल तक जेल में रहने की सजा सुनाई। कानून के नजरिए से देखें तो अब संत बने संतराम का शेष जीवन सलाखों के पीछे गुजरेगा, और समाज को फिर एक कठोर सीख मिली पढ़ें पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।
गरियाबंद कभी-कभी नाम इंसान को धोखा दे देते हैं। संतराम नाम सुनकर किसी को साधु-संत का भ्रम हो सकता है, मगर असलियत में यह शख्स इतना पवित्र निकला कि सीधा फास्ट ट्रैक कोर्ट से आजीवन कारावास का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया। कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास ( प्राकृतिक मौत होते तक जेल में ही रहने ) की सजा सुनाई ।

फास्ट ट्रैक कोर्ट फैसला
फास्ट ट्रैक कोर्ट फैसला आरोपी शेष प्राकृतिक जीवन काल तक जेल में रहेगा
विशेष न्यायालय के जज यशवंत वासनीकर ने गरियाबंद वार्ड नंबर 4 के निवासी आरोपी संतराम देवदास को सलाखों के पीछे भेजते हुए ऐसा फैसला सुनाया कि अब संत की शेष जिंदगी जेल की कोठरी में ही साधना करते हुए बीतेगी। कोर्ट का यह फैसला बुरे कर्म करने की सोच रखने वालों के लिए एक कड़ा संदेश हैं।
धारा 376 (2)(ठ), 450 व पॉक्सो एक्ट की धारा 06 के तहत सजा
मामले को लेकर विशेष लोक अभियोजक एच.एन. त्रिवेदी ने बताया कि आरोपी पर आरोप था कि उसने घर में अकेली मानसिक रूप से निःशक्त नाबालिग बच्ची को देखकर इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं। अदालत ने इसे न केवल अपराध माना, बल्कि समाज के लिए एक आईना भी दिखा दिया कि अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, फास्ट ट्रैक कोर्ट उसे पकड़ ही लेता है…
न्यायालय ने 5 लाख रुपये प्रतिकर दिलाने का भी दिया आदेश
जज ने आजीवन कारावास के साथ 5 लाख रुपये का मुआवजा भी दिलाने का आदेश दिया। यह रकम शायद पीड़िता के दर्द को कम न कर सके, मगर समाज के लिए यह कड़ा संदेश जरूर है कि दुष्कर्मियों का भविष्य जेल की चारदीवारी में ही लिखा जाएगा। जिस शख्स को मोहल्ले में संत कहा जाता होगा, अब वही संत जेल की घंटा-घंटी में प्रार्थना करेगा।
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