हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
धर्म नगरी राजिम में बिरयानी विवाद छिड़ गया है। पार्षदों ने नगर पंचायत अध्यक्ष से मुख्य मार्ग पर खुली बिरयानी दुकानों को हटाने की मांग की है और चेतावनी दी है कि कार्रवाई न होने पर आंदोलन होगा।
गरियाबंद धर्म नगरी राजिम में अब राजनीति का नया मसाला बिरयानी बन चुका है। नगर पंचायत के पार्षदों ने साफ कह दिया है कि जहाँ धर्म नगरी की पहचान भगवानों और आस्था से हो, वहाँ बिरयानी का धुआं उड़ना पाप से कम नहीं।

धर्म नगरी राजिम
धर्म नगरी राजिम में बिरयानी से टूटा धार्मिक माहौल?
नगर पंचायत अध्यक्ष महेश यादव को सौंपे गए आवेदन में पार्षद तुषार कदम, आकाश सिंह राजपूत, अजय पटेल और सुरेश पटेल ने बिरयानी दुकानों को हटाने की मांग रखी। इस मुहिम में भाजपा युवा नेता संजीव साहू भी बिरयानी विरोधी मोर्चे में शामिल हो गए। पार्षदों का तर्क है कि जब शराब दुकान तक नगर से बाहर भेज दी गई, तो बिरयानी कैसे बीच शहर में झंडा गाड़ सकती है? सावन जैसे पवित्र महीने में नई-नई बिरयानी दुकानों का शुभारंभ होना, उनके अनुसार, नगर की धार्मिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचा रहा है।
ट्रैफिक जाम या बिरयानी जाम?
आवेदन में कहा गया है कि बिरयानी दुकानों के कारण न सिर्फ नगर की पवित्रता खतरे में है, बल्कि ट्रैफिक जाम भी स्थायी बिरयानी की तरह जम गया है। वार्डवासियों में इस बात को लेकर गुस्सा भी उबल रहा है। कहते हैं अगर प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो वे धरना, प्रदर्शन और यहां तक कि आमरण अनशन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
पार्षदों का पक्ष
अब सवाल यह है कि क्या राजिम की पहचान सच में बिरयानी दुकानों से होनी चाहिए या फिर उसकी धार्मिक प्रतिष्ठा को सुरक्षित रखना ज्यादा ज़रूरी है? पार्षदों का मानना है कि धर्म नगरी की ब्रांडिंग बनाम बिरयानी का टेस्टिंग की तुलना ही गलत है। अगर ऐसे ही हाल रहा तो आने वाले दिनों में नगर में भक्ति बनाम बिरयानी कारोबार की जंग छिड़ सकती है।
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