हिमांशु साँगाणी पैरी टाईम्स 24×7 डेस्क गरियाबंद
छत्तीसगढ़ कर्मचारी आंदोलन कांग्रेस विधायक जनक ध्रुव बोले वादाखिलाफी में अव्वल है भाजपा, हर वर्ग सड़क पर उतरा कार्यकर्ताओं का एलान आंधी-तूफान आए या बारिश, धरना अब बिना वादा पूरा हुए नहीं हटेगा पढ़ें पूरी खबर पैरी टाईम्स पर ।
गरियाबंद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बारिश के बीच धरने पर डटे। कांग्रेस विधायक जनक ध्रुव ने भाजपा सरकार को घेरा और वादाखिलाफी का आरोप लगाया। गरियाबंद की बरसात इन दिनों सिर्फ खेतों को ही नहीं भिगो रही, बल्कि सरकार के वादों की धुलाई भी कर रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने हक की लड़ाई में अड़े हुए हैं और बारिश के बीच भी डटे हुए हैं। इसी दौरान कांग्रेस विधायक जनक ध्रुव धरना स्थल पहुंचे और सरकार की नाकामियों पर करारा प्रहार किया।

छत्तीसगढ़ कर्मचारी आंदोलन
छत्तीसगढ़ कर्मचारी आंदोलन में विधायक बोले डबल इंजन की सरकार पूरी तरह फैल है
जनक ध्रुव ने व्यंग्य कसते हुए कहा भाजपा सरकार चुनाव से पहले जितना तेज़ बोलती थी, अब उतनी ही तेज़ बारिश कर्मचारियों पर बरस रही है। फर्क बस इतना है कि बारिश असली है और वादे कागज़ी। इस दौरान अपने बीच विधायक को पाकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का उत्साह भी अपने चरम पर देखने मिला
ये है प्रमुख मांगे ।
- देश में 50 वर्ष से लागू आई.सी.डी.एस योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों
में कार्यरत कार्यकर्ता सहायिकाओं को भी शिक्षाकर्मी पंचायतकर्मी की तरह
शासकीय करण की नीति बनाकर शासकीय कर्मचारी घोषित किया जावे और
कार्यकर्ता को तृतीय श्रेणी और सहायिका को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया
जावे । - शासकीय कर्मचारी घोषित होत तक पूररे देष में एक समान वेतन
कार्यकर्ता को प्रतिमाह 26000/- और सहायिका को 22100/- (कार्यकर्ता का
85 प्रतिशत) शीघ्र लागू किया जावे ।
3.
सामाजिक सुरक्षा के रूप में सेवानिवृत्ति पर सभी कार्यकर्ता सहायिकाओं
को पेशन, गेज्युवेटी, समूह बीमा और कैशलेश चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई
जावें ।
4.
सहायिका को कार्यकर्ता के पद पर कार्यकर्ता को सुपरवाईजर के पद पर
सीधे पदोन्नति दिया जावे जिस तरह से सन 1998-99 में नीति बनाकर या
गया था
5.
सरकार द्वारा वर्तमान में पोषण ट्रेकर THR वितरण में फेस केप्चर
कार्यकर्ता सहायिकाओं के उपस्थिति का फेस केप्चर FRS और eKY के माध्यम
से कन्द्र के सभी कार्य को डिजिटल किया गया है जिससे हितग्राहियों को और
कार्यकर्ता सहायिकाओं को कई व्यवहारिक परेशानी और कठिनाईयों का सामना
करना पड रहा है इसे बंद कर आफ लाईन सभी कार्य लिया जावे ।
6.
महंगाई भत्ता दिया जावे, माननीय उच्च न्यायालय गुजरात द्वारा ग्रेज्युटी और
न्यूनतम वेतन के संबंध में पारित निर्णय को छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जावे ।
सेवा निवृत्ति पश्चात पेंशन गेज्युवेटी -35-40 वर्ष विभाग की सेवा करने के
बाद भी बुढ़ापे के समय जीवन यापन हेतु ना तो कोई पेंशन मिल रहा है और ना ही
एक मुश्त राशि कार्यकर्ता को 10000/ और सहायिका को 8000/ मासिक पेंशन और
बुढ़ापे के शेष जीवन यापन के लिये कार्यकर्ता को 5 लाख रूपये और सहायिका को
4 लाख रूपये एक मुश्त ग्रेज्युटि राशि प्रदान किया जावे ।
8.
अनुकंपा नियुक्ति – कार्यकर्ता सहायिका के आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवार
एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दिया जावे ।
तेज बारिश भी कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास नहीं डगमगा सकी
धरने पर बैठी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष ने साफ कहा कि चाहे आंधी आए, तूफान उठे या आसमान से पानी बरसे, हम तब तक यहां से नहीं हटेंगे जब तक हमारे हक का वादा पूरा नहीं हो जाता। इस दौरान धरना स्थल पर हज़ारों कार्यकर्ता बारिश में भीगते हुए अपने हक के लिए मांग करते दिखी कई कार्यकर्ता अत्यधिक बारिश के चलते अपने सर पर प्लास्टिक की चेयर से पानी से बचने की कोशिश करती रही मगर धरना स्थल से हटी नहीं ।
गरियाबंद में गरजी कार्यकर्ताएं बोलीं इस बार अपना हक लेकर रहेंगे चाहे जो हो जाए
धरना स्थल पर मौजूद कार्यकर्ताओं ने भी तंज कसते हुए कहा कि सरकार के वादे छतरी जैसे थे । जो चुनाव के वक्त तो बड़े मज़बूत दिखे, पर अब बरसात आते ही फट गए। आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता पिछले कई सालों से अपने हक के लिए मांग कर रही सभी सरकारें चुनाव के समय वादा जरूर करती है मगर जैसे ही सत्ता की कुर्सी पा जाती है अपने किए गए सभी वादों को भूलकर सत्ता का सुख भोगने में लग जाती है । मगर इस बार हमने ठाना है चाहे जो हो जाए हम पीछे नहीं हटेंगे और अपना हक लेकर रहेंगे
हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने रैली के रूप में दर्ज कराई अपनी उपस्थिति
गरियाबंद की बारिश इस बार खेतों से ज़्यादा सरकार की वादाखिलाफी भिगोने में लगी रही, तभी तो दो से ढाई हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांधी मैदान से गौरव पथ होते हुए तिरंगा चौक तक नारे लगाते निकले और आखिर में एसडीएम को ऐसा ज्ञापन सौंपा मानो कह रहे हों ।छाता आपका हो या सरकार का, हमारी मांगें अब भीगने वाली नहीं हैं।
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